इंदौर: क्या है गोबर-धन संयंत्र की खासियत जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है उद्घाटन?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार दोपहर मध्य प्रदेश में इंदौर के देवगुराड़िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में वेस्ट टू वेल्थ और सर्कुलर इकोनामी के व्यापक सिद्धांतों के आधार पर स्थापित गोबर-धन नामक बायो-CNG प्लांट का आभासी रूप से लोकार्पण किया।
इस दौरान मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी सहित अन्य मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे।
योजना
स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के तहत किया गया है संयंत्र का निर्माण
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में ही स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 को लॉन्च किया था, जिसका प्रमुख उद्देश्य शहरों को कचरा मुक्त बनाना है।
संसाधनों से होने वाली रिकवरी को अधिकतम करने के लिए इस मिशन को वेस्ट टू वेल्थ और सर्कुलर इकोनामी के व्यापक सिद्धांतों के तहत लागू किया जा रहा है।
इंदौर में स्थापित किए गए गोबर-धन नामक बायो-CNG प्लांट में इन दोनों का ही इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में यह बड़ी उपलब्धि है।
स्वच्छता
"इंदौर के नाम से मन में आता है स्वच्छता का ख्याल"
गोबर धन संयंत्र का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इंदौर वासियों की तारीफ करते हुए कहा, "आज इंदौर का नाम आते ही मन में स्वच्छता ख्याल आता है। जितने अच्छे इंदौर के लोग हैं, उतना ही अच्छा उन्होंने इंदौर को भी बना दिया है।"
उन्होंने कहा, "बायो-CNC संयंत्र से ईंधन बनाने की पहल इस समाज और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। गांवों में घरों, मवेशियों और खेतों से निकलने वाला अपशिष्ट धन के समान है।"
तैयारी
75 नगर निगमों में तेजी से चल रहा है गोबर-धन संयंत्र का काम- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इंदौर में इतने बड़े स्तर पर बायो-CNC का उत्पादन होना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। ऐसे में आने वाले दो सालों में 75 और नगर निगमों में ऐसे गोबर-धन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "इस अभियान से भारत के शहरों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकेगा। आने वाले समय में यह तकनीक देश को पूर्ण स्वच्छता की ओर ले जाएगी।"
खासियत
एशिया का सबसे बड़ा बायो-CNG प्लांट
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, इंदौर में स्थापित यह संयंत्र प्रधानमंत्री की वेस्ट टू वेल्थ की अवधारणा को साकार करने के साथ स्वच्छता के क्षेत्र में नवाचार के रूप में जाना जाएगा।
इस संयंत्र में प्रतिदिन 550 मीट्रिक टन गीले कचरे का निपटान किया जाएगा। यही कारण है कि यह संयंत्र पूरे एशिया महाद्वीप में जैविक अपशिष्ट से बायो-CNG पैदा करने वाला सबसे बड़ा और देश का पहला है। इससे दुनिया में देश की अलग छवि स्थापित होगी।
जानकारी
प्रतिदिन 17,000 किलोग्राम बायो-CNG का उत्पादन होगा
बता दें कि इस संयंत्र में प्रतिदिन करीब 17,000 किलोग्राम बायो-CNG और 100 टन जैविक खाद का उत्पादन करने की क्षमता है। संयंत्र से जुड़े अधिकारियों की माने तो यह शून्य लैंडफिल मॉडल पर आधारित है। इसमें कोई भी रद्दियां यानी रिजेक्ट्स पैदा नहीं होंगी।
संचालन
बायो-CNG से संचालित होंगे 400 सिटी बसें
इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड इस परियोजना को लागू करने के लिए बनाया गया एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है, जिसे इंदौर नगर निगम (IMC) और इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड साल्यूसंश लिमिटेड (IEISL) द्वारा स्थापित किया गया था। इसमें IEISL ने 150 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
IMC संयंत्र द्वारा उत्पादित कुल बायो-CNG का 50 प्रतिशत हिस्सा खरीदेगा और उसका इस्तेमाल 400 सिटी बसों में किया जाएगा। शेष CNG को बाजार में बेचा जाएगा।
अन्य
गोबर-धन संयंत्र से होंगे कई पर्यावरणीय लाभ
PMO के बयान के अनुसार, गोबर-धन संयंत्र से कई तरह की पर्यावरणीय लाभ भी देखने को मिलेंगे। इस संयंत्र में उत्पादित जैविक खाद कृषि और बागवानी उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों की जगह ले सकेगी।
इसके अलावा इस परियोजना से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, उर्वरक के रूप में जैविक खाद के साथ हरित ऊर्जा मिलने जैसे कई अन्य पर्यावरणीय लाभ भी मिलेंगे। यह पर्यावरण के लिए बहुत लाभकारी होगा।