पांच सालों में नौ चीता और चेतक हेलिकॉप्टर हुए हादसों का शिकार
बीते पांच सालों में थलसेना, वायुसेना और नौसेना के नौ चीता और चेतक हेलिकॉप्टर क्रैश हो चुके हैं। दूसरी तरफ नए हेलिकॉप्टरों की खरीद प्रक्रिया गति नहीं पकड़ पा रही है। ताजा हादसा मंगलवार को हुआ, जब उधमपुर बेस पर लौट रहा एक चीता हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे में मेजर रोहित कुमार और मेजर अनुज राजपूत की मौत हो गई थी। इसकी जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है।
पांच सालों में सेना के पांच अधिकारी हादसों का शिकार हुए
बीते साल फरवरी में भी सेना का एक चीता हेलिकॉप्टर जम्मू के रायसी इलाके में क्रैश हुआ था। राहत की बात यह रही की उसमें किसी की मौत नहीं हुई। उससे पहले 2019 में भूटान में एक चीता हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था, जिसमें भारतीय और रॉयल भूटान सेना के एक-एक अधिकारी की मौत हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017 के बाद से हुए छह चीता और चेतक हेलिकॉप्टर हादसों में थलसेना के पांच अधिकारी मारे जा चुके हैं।
नौसेना और वायुसेना के हेलिकॉप्टरों के साथ भी हुए हादसे
इससे पहले 2016 में सुकना में चीता हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से सेना के तीन अधिकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। नौसेना की बात करें तो 2019 में तकनीकी खामी के कारण एक चेतक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। दूसरे मामले में दूसरे चेतक हेलिकॉप्टर ने तमिलनाडु में हार्ड लैंडिंग की थी। 2017 के बाद वायुसेना के चीता और चेतक हेलिकॉप्टरों के साथ जम्मू और उत्तर प्रदेश में दो हादसे हो चुके हैं।
हादसों ने बढ़ाई नए हेलिकॉप्टरों की जरूरत
2017 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 2011 के बाद भारतीय सेना हादसों में अपने 21 हेलिकॉप्टर गंवा चुकी हैं। उसके बाद भी हादसों का सिलसिला थम नहीं रहा है। लगातार हो रही दुर्घटनाओं ने एक बार चीता और चेतक की जगह नए हेलिकॉप्टरों को बेड़े में शामिल करने की जरूरत को बढ़ा दिया है। दूसरी तरफ नए सौदों की फाइलें बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं।
40 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं कई हेलिकॉप्टर
न्यूज18 के अनुसार, चेतक और चीता हेलिकॉप्टरों को 1960 और 1970 के दशक में बेड़े में शामिल किया गया था और तब से इन्होंने समुद्र और ऊंचाई वाले इलाकों में ऑब्जर्वेशन, सर्विलांस, लॉजिस्टिक सपोर्ट और राहत अभियानों में अहम भूमिका निभाई है। वायुसेना अपने पायलटों को ट्रेनिंग देने के लिए भी इन्हीं हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल करती है। इनमें से अधिकतर हेलिकॉप्टर 40 साल से पुराने हैं और उनके रखरखाव में कई चुनौतियां आ रही हैं।
चीता और चेतक में आधुनिक सुविधाओं की कमी
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बताया कि इन हेलिकॉप्टरों में कई आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं। इनमें ऑटो पायलट सिस्टम भी नहीं होता, जो खराब मौसम के दौरान दुर्घटना की संभावना को कम कर सके। साथ ही इनकी मरम्मत भी लंबी चलती है।
सेना के तीनों अंगों को करीब 500 हेलिकॉप्टरों की जरूरत
बीते लगभग 20 सालों से सेना के तीनों अंग नए हेलिकॉप्टरों की मांग कर रहे हैं और उन्होंने लगभग हेलिकॉप्टरों की जरूरत बताई है। 2015 में भारत ने रूस से 200 ट्विन-इंजन वाले कामोव-226T हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। इनमें से 60 रूस में और बाकी भारत में निर्मित होने थे, लेकिन इस संख्या पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है, जिससे यह प्रोजेक्ट बीच में अटक गया है।