भारत की कोरोना वायरस मृत्यु दर सबसे निचले स्तर पर, जानें क्या रहे सुधार के कारण
क्या है खबर?
भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और कुल संक्रमितों की संख्या 11 लाख से अधिक हो गई है। पिछले 24 घंटे में देश में 40,000 से अधिक नए मामले सामने आए और 681 मरीजों की मौत हुई।
हालांकि देश की स्थिति उतनी भयावह नहीं है जितना इन आंकड़ों से लगता है और देश की कोरोना वायरस मृत्यु दर अपने सबसे निचले स्तर पर है।
आइए विस्तार से मृत्यु दर के आंकड़ों पर नजर डालते हैं।
मृत्यु दर
भारत की मृत्यु दर पहली बार 2.50 प्रतिशत से नीचे
भारत में कोरोना वायरस की मृत्यु दर अभी 2.49 प्रतिशत है जो महामारी की शुरूआत से अब तक सबसे कम है। वैश्विक कोरोना वायरस मृत्यु दर के मुकाबले भारत में ये आंकड़ा 1.78 प्रतिशत कम है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 29 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से कम है। इनमें से 14 राज्यों में तो मृत्यु दर एक प्रतिशत से भी कम है।
अधिक औसत
इन बड़े राज्यों में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक
महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल तीन ऐसे बड़े राज्य हैं जहां मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 3.85 प्रतिशत, गुजरात में 4.48 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 2.67 प्रतिशत है। अधिकारी इन तीनों राज्यों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं और इन पर करीबी नजर रखे हुए हैं।
इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, असम और ओडिशा में भले ही मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से कम हो, लेकिन इन पर भी निगरानी रखी जा रही है।
दक्षिणी राज्य
मृत्यु दर के मामले में दक्षिण राज्यों का प्रदर्शन बेहतर
तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक चार ऐसे दक्षिणी राज्य हैं जहां पिछले कुछ हफ्ते से मामले तेजी से बढ़े हैं और उन्हीं के कारण राष्ट्रीय मामलों में रिकॉर्ड उछाल आ रहा है।
हालांकि इन राज्यों में मृत्यु दर कम बनी हुई है। तेलंगाना में ये आंकड़ा 0.93 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 1.31 प्रतिशत, तमिलनाडु में 1.75 प्रतिशत और कर्नाटक में 2.06 प्रतिशत है।
एक अन्य दक्षिणी राज्य केरल में भी ये आंकड़ा 0.33 प्रतिशत है।
कारण
मृत्यु दर में गिरावट के ये दो अहम कारण
विशेषज्ञ मृत्यु दर में इस गिरावट के दो अहम कारण मान रहे हैं। पहला है बेहतर इलाज। अभी तक कोरोना वायरस का कोई पुख्ता इलाज तो नहीं मिला है, हालांकि रेमडेसिवीर से लेकर डेक्सामेथासोन तक कई ऐसी दवाईयां उपलब्ध हैं जिनकी मदद से मरीजों को पहले के मुकाबले बेहतर इलाज प्रदान किया जा रहा है।
दूसरा कारण है मरीजों का लक्षण दिखने के लिए पहले 24-72 घंटे में ही अस्पताल पहुंचना, जिससे उन्हें समय पर इलाज मिल रहा है।
अन्य कारण
जिन लोगों को अधिक खतरा, उनकी निगरानी से भी हुआ फायदा
इसके अलावा कई राज्यों ने सर्वे कर जिन लोगों को कोरोना वायरस से अधिक खतरा है, जैसे कि बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और पहले से बीमार लोग, उनकी पहचान की है।
केंद्र सरकार के अनुसार, इन सर्वे और कुछ मोबाइल ऐप्स की मदद से सरकारें ऐसे लोगों पर निगरानी रखने में कामयाब रही हैं। इससे मरीजों की जल्द पहचान करने और उन्हें समय पर इलाज प्रदान करने में मदद मिली है और फलस्वरूप मृत्यु दर नीचे आई है।