अयोध्या भूमि विवाद पर फैसले के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगी हिंदू महासभा
क्या है खबर?
अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हिंदू महासभा पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
यह हिंदू पक्ष की तरफ से पहली पुनर्विचार याचिका होगी। महासभा सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने के आदेश पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर कर रही है।
इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। जमीयत ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने कभी भी जमीन की मांग नहीं की थी।
अयोध्या भूमि विवाद
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने दशकों से चले आ रहे अयोध्या भूमि विवाद में 9 नवंबर को फैसला सुनाया था।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने विवादित 2.7 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने का आदेश दिया था।
वहीं मस्जिद के लिए सरकार को अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया था।
इस फैसले के खिलाफ अब तक कुल छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर हो चुकी हैं।
पुनर्विचार याचिका
क्या है हिंदू महासभा की दलील?
हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह याचिका सोमवार को ही दायर की जाएगी।
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित भूमि के अंदरूनी और बाहरी चबूतरे पर हिंदू पक्ष का हक बताया है। इसलिए कोर्ट को मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने का कोई कारण नहीं है।
यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सातवीं पुनर्विचार याचिका होगी।
जानकारी
अब तक छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर
इससे पहले मौलाना मुफ्ती हस्बुल्ला, मौलाना महफजूर रहमान, मिस्बाहुद्दीन, मोहम्मद उमर और हाजी महबूब ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से पांच और मोहम्मद अयूब ने छठी पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
दलील
जमीयत ने अपनी याचिका में क्या कहा?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हिंदू पक्ष की अवैध दलीलों को माफ कर दिया और मुस्लिमों को वैकल्पिक जमीन दे दी, जिसकी मुस्लिम पक्ष ने कभी मांग नहीं की थी।
गौरतलब है कि इसमें पूरे फैसले को चुनौती नहीं दी गई है।
जमीयत प्रमुख मौलाना सैय्यद अशाद रशीदी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत इस फैसले की समीक्षा होनी चाहिए।
नियम
ये होते हैं पुनर्विचार याचिका से जुड़े नियम
सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए 30 दिनों का समय होता है। यह समय बीतने के बाद याचिका दायर नहीं की जा सकती।
इस याचिका में याचिकाकर्ता को यह साबित करना है कि पहले दिए गए फैसले में क्या खामी है।
इस पर सुनवाई के दौरान वकीलों की ओर से जिरह नहीं की जाती। कोर्ट द्वारा पहले दिए गए फैसले की फाइलों और रिकॉर्ड्स पर ही विचार किया जाता है।