ज्ञानपीठ से सम्मानित हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन, AIIMS रायपुर में थे भर्ती
क्या है खबर?
हिंदी के मशहूर वरिष्ठ कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल नहीं रहे। उनका 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। शुक्ल पिछले कई दिनों से छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) रायपुर में भर्ती थे। उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने मंगलवार शाम को अंतिम सांस ली। पिछले महीने 1 नवंबर को धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्ल से बात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक है।
निधन
पिछले महीने मिला था ज्ञानपीठ पुरस्कार
शुक्ल का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 1 जनवरी 1937 को हुआ था। पिछले महीने ही शुक्ल को हिंदी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने 9 दशक के लंबे रचनात्मक सफर में साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, मातृभूमि पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य सम्मान और 2023 का पैन-नाबोकोव पुरस्कार प्राप्त किया था।
जीवन
याद किए जाएंगे शुक्ल
शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे लेखक थे, जो धीमे बोलते थे, लेकिन उनकी साहित्यिक आवाज असरदार थी। उन्होंने साधारण और अनदेखे जीवन को अपनी कविताओं, कहानियों और उपन्यासों में जगह दी थी। उनका पहला कविता-संग्रह 'लगभग जय हिंद' 1971 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने 'वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह', 'सब कुछ होना बचा रहेगा' से अगल छाप छोड़ी। उनके उपन्यास 'नौकर की कमीज' ने 1979 में हिंदी कहानी और उपन्यास को अलग मोड़ दिया।