हाथरस हादसा: बाबा के सेवादार रोक सकते थे भगदड़, चरण धूल के लिए भीड़ को छोड़ा
उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग में मची भगदड़ के बाद हुई 123 लोगों की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई खुलासे किए हैं। यह खुलासे उन्होंने गिरफ्तार 6 लोगों से पूछताछ के बाद किए। अलीगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक शलभ माथुर ने बताया कि बाबा के सेवादार ही सत्संग में गुलाबी और काली वर्दी पहनकर भीड़ को नियंत्रित करते हैं। ये कपड़े भीड़ नियंत्रित करने के लिए एकरूपता की पहचान है।
भीड़ को अनियंत्रित छोड़ा और फरार हो गए
पुलिस अधिकारी ने बताया कि भोले बाबा के चरण की धूल पाने के लिए भक्तों में काफी होड़ रहती है। मंगलवार को भी यही हुआ। माथुर ने बताया कि जब भीड़ कार के पास चरण धूल के लिए आई तो सेवादारों ने पहले भीड़ को रोका और जैसे ही वाहन आगे बढ़ा, सेवादारों ने भीड़ को अनियंत्रित छोड़ दिया। इससे महिलाएं और बच्चे एक-दूसरे पर गिर गए और भीड़ उनको कुचलने लगी। मौका देखकर सेवादार वहां से भाग निकले।
वीडियो बनाने की भी मनाही
माथुर ने बताया कि घटना के दौरान इन सेवादारों की ओर से कोई भी प्रयास नहीं किया गया। पुलिस और प्रशासन के लोगों को भी मदद नहीं की। एक बात और सामने आई है कि सत्संग स्थल पर वीडियोग्राफी पूरी तरह से प्रतिबंधित रहती है और किसी को भी वीडियो बनाने से रोकते हैं। ये खुद ही भीड़ नियंत्रण का प्रयास करते हैं और पुलिस और प्रशासन को अपने कार्यक्रम स्थल पर आने की अनुमति नहीं देते हैं।
घटना का खुलासा करते पुलिस महानिरीक्षक
पुलिस ने आयोजन समिति के 6 को गिरफ्तार
शलभ माथुर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हाथरस हादसे के मामले में अभी तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनकी पहचान राम लड़ैते, उपेंद्र सिंह यादव, नेक सिंह, मंजू यादव, मुकेश कुमार और मंजू देवी शामिल हैं। ये सभी आयोजन समिति से जुड़े हुए हैं और सत्संग के आयोजन की जिम्मेदारी देखते हैं। मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर अभी फरार है। उस पर पुलिस ने 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।