हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू किया, कोटे में कोटा को दी मंजूरी
क्या है खबर?
हरियाणा में मुख्यमंत्री का पद संभालते ही नायब सिंह सैनी ने कैबिनेट की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति आरक्षण में वर्गीकरण का फैसला भी शामिल है।
मुख्यमंत्री सैनी ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, "सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का सम्मान किया है, जो अनुसूचित जाति वर्गीकरण से जुड़ा था। कोर्ट के फैसले को सम्मान देते हुए हमने आज से ही उसे लागू करने का फैसला किया है।"
आदेश
अब कोटे में कोटा दे सकेंगे
हरियाणा सरकार के आदेश के बाद अनुसूचित जाति के आरक्षण में ही राज्य के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उन कमजोर वर्गों को भी कोटा मिल सकेगा, जिनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
बता दें कि अभी अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण है। इस प्रकार कुल 22.5 प्रतिशत आरक्षण में ही राज्य के कमजोर वर्गों को कोटा मिलेगा।
इससे ज्यादा पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
ट्विटर पोस्ट
नायब सिंह सैनी की प्रेस कॉन्फ्रेंस
LIVE : कैबिनेट के फैसलों पर प्रेस वार्ता
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) October 18, 2024
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फैसला
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
दरअसल, 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि SC की उप-श्रेणी नहीं बनाई जा सकती। कोर्ट ने ये भी कहा था कि राज्यों के पास ये करने का अधिकार नहीं है और केवल राष्ट्रपति ही ये अधिसूचित कर सकते हैं।
अगस्त 2024 में कोर्ट ने अपने इस फैसले को पलट दिया है। अब कोर्ट ने राज्यों को ये अधिकार दिया है कि वे SC और ST के उत्थान के लिए उप-श्रेणियां बनाकर कोटे के अंदर कोटा बना सकती है।
कोटा
क्या है कोटे के अंदर कोटा?
कोटा के भीतर कोटा का मतलब है कि आरक्षण के पहले से आवंटित प्रतिशत के भीतर एक अलग आरक्षण व्यवस्था लागू करना।
इसका मुख्य उद्देश्य आरक्षण का लाभ समाज के सबसे पिछड़े और जरूरतमंद समूहों तक पहुंचाना होता है।
उदाहरण के लिए SC और ST के भीतर अलग-अलग समूहों को आरक्षण दिया जा सकता है, ताकि सामाजिक या आर्थिक रूप से वंचित समूहों को ज्यादा प्रतिनिधित्व और लाभ मिल सके।