बुखार के लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचने वाले हर व्यक्ति का होगा COVID-19 टेस्ट
क्या है खबर?
देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार इसकी जांच का दायरा बढ़ाने जा रही है।
सरकार जल्द ही अस्पतालों में आने वाले सभी ऐसे लोगों टेस्ट करेगी, जिनमें बुखार जैसे लक्षण होंगे। देश के सभी अस्पतालों में ऐसा किया जाएगा।
इसके अलावा हॉटस्पॉट और अधिक मामलों वाले कलस्टर में मास टेस्टिंग करने पर विचार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग हो सके।
योजना
वॉलेंटियरी कम्युनिटी टेस्टिंग भी होगी शुरू
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इसके साथ-साथ सरकार वॉलेंटियरी कम्युनिटी टेस्टिंग पर भी जोर देगी।
इसका मतलब यह है कि अगर कोई भी व्यक्ति टेस्ट करवाना चाहेगा, सरकार उसका टेस्ट करेगी। चाहे उस व्यक्ति की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं रही है और न ही वह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है।
अगर वह अपना टेस्ट कराना चाहेगा तो उसका टेस्ट किया जाएगा। इससे सरकार को एक साथ कई फायदे होंगे।
कोरोना वायरस
बुखार के लक्षण वाले सभी लोगों के टेस्ट करने से क्या फायदे होंगे?
बुखार जैसे लक्षण वाले सभी लोगों के टेस्ट होने पर सरकार के रैंडम सैंपलिंग का डाटा पहुंचेगा।
इसके अलावा अगर ऐसा कोई व्यक्ति कोरोना वायरस संक्रमित नहीं पाया जाता है तो उसका इलाज करने वाले डॉक्टर, नर्स और दूसरे लोगों को पूरे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यह बात भी ध्यान देने वाली है कि देशभर के अस्पतालों में PPE की भारी कमी है। ऐसे में PPE वहां इस्तेमाल हो सकेंगे, जहां इनकी जरूरत होगी।
जानकारी
हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन में होगी मास टेस्टिंग
सूत्रों ने बताया, "हम अस्पताल ऐसे सभी लोगों के टेस्ट करना शुरू करेंगे, जिनमें बुखार के लक्षण होंगे, चाहे वह किसी भी बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल आया हो। बाद में हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन में मास टेस्टिंग की शुरुआत होगी।"
कोरोना वायरस
टेस्टिंग किट उपलब्ध होने पर बदली स्थिति
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि स्क्रीनिंग और मास टेस्टिंग पर काफी काम चल रहा था, लेकिन टेस्टिंग किट की कमी के कारण इसकी शुरुआत नहीं हो पाई थी। अब यह स्थिति बदल गई है। अब हर मोहल्ला और गांव में जाकर लोगों के टेस्ट किए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों के साथ पुलिस को भेजा जा सकता है।
बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में यह काम पहले से शुरू हो गया है।
कोरोना वायरस
9 अप्रैल को भी बदली गई थी टेस्टिंग की नीति
इससे पहले सरकार ने 9 अप्रैल को टेस्ट करने की नीति में बदलाव किया था।
तब हॉटस्पॉट घोषित किए गए इलाकों में ऐसे भी लोगों के टेस्ट शुरू किए गए थे, जिनमें बुखार, खांसी, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण थे।
इसके अलावा हॉटस्पॉट इलाकों में टेस्ट करनेे वाले स्वास्थ्यकर्मियों को अगर लगता है कि किसी व्यक्ति का टेस्ट करना चाहिए तो वो अपने निर्णय के आधार पर लोगों के टेस्ट कर सकते हैं।
कोरोना वायरस
देश में 15,000 के नजदीक पहुंचे संक्रमण केे मामले
रविवार सुबह तक देश में कोरोना वायरस संक्रमण मामलों की संख्या 14,792 पहुंच गई। इनमें से 12,289 सक्रिय मामले हैं, 2015 ठीक हो चुके हैं और 488 की मौत हुई है।
भारत में कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले संक्रमितों की दर 3.3 प्रतिशत है।
देश में इस खतरनाक वायरस के कारण मरने वालों में से 75.3 प्रतिशत की उम्र 60 साल से ज्यादा थी, जबकि इनमें से 83 प्रतिशत पहले ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे।