फेसबुक की शीर्ष सार्वजनिक नीति अधिकारी अंखी दास के खिलाफ FIR दर्ज
क्या है खबर?
फेसबुक की सार्वजनिक नीति अधिकारी अंखी दास के खिलाफ धार्मिक भावनाओं आहत करने और सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के आरोप में FIR दर्ज की गई है।
छत्तीसगढ़ के पत्रकार और कांग्रेस सरकार की फेक न्यूज समिति के सदस्य आवेश तिवारी की शिकायत पर यह FIR दर्ज हुई है।
FIR मे उन दो लोगों के भी नाम शामिल हैं, जिन्होंने तिवारी की पोस्ट पर धमकी देने वाले कमेंट किए थे।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
FIR
तिवारी ने FIR में कही ये बातें
तिवारी ने FIR में कहा है कि उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट आने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी।
इसमें उन्होंने लिखा था कि कैसे अंखी दास ने अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों को नफरत भरे बयानों वाली राजनीतिक पोस्ट पर कार्रवाई न करने के लिए दबाव बनाया था ताकि सत्ताधारी पार्टी के साथ उनके अच्छे रिश्ते कायम रहे।
तिवारी का कहना है कि इस पोस्ट के बाद उन्हें धमकी भरे फोन आने लगे।
FIR
इन धाराओं के तहत दर्ज हुई FIR
तिवारी का कहना है कि लोग उन्हें फोन और मैसेज कर धमकियां दे रहे हैं। ऐसा करने वाले लोग बोल रहे हैं कि वो अंखी दास की तरफ से बात कर रहे हैं।
दास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), 505(1)(c) (एक समुदाय के लोगों को दूसरे के प्रति भड़काना), 506 (आपराधिक धमकी) और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत
दास ने भी दिल्ली पुलिस में दी शिकायत
दूसरी तरफ WSJ की रिपोर्ट सामने आने के बाद से लगातार चर्चा में बनीं दास ने भी दिल्ली पुलिस में शिकायत दी है कि उन्हें 'हिंसक धमकियां' दी जा रही हैं।
दास का कहना है कि 14 अगस्त से उन्हें नुकसान पहुंचाने की धमकियां मिल रही हैं, जिससे वो काफी परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें छेड़छाड़ और साइबर बुलिंग का शिकार बनाया जा रहा है और वो अपनी और अपने परिवार को सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
मामले की शुरुआत
क्या थी WSJ की रिपोर्ट?
WSJ की रिपोर्ट में दास पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट करने वाले तेलंगाना भाजपा के नेता टी राजा सिंह पर प्रतिबंध की कार्रवाई को रुकवाने के लिए दास ने फेसबुक की आंतरिक प्रक्रिया में दखल दिया था।
दास ने यह दखल फेसबुक के कारोबारी हितों पर नकारात्मक प्रभाव का हवाला देते हुए किया था।
इसके बाद से दास और फेसबुक लगातार चर्चा में हैं।
रिपोर्ट
दास की दखलअंदाजी फेसबुक के पक्षपातपूर्ण रवैये का हिस्सा- WSJ
रिपोर्ट में मौजूदा और पूर्व फेसबुक अधिकारियों के हवाले से लिखा गया है, "दास ने स्टाफ के सदस्यों से कहा कि मोदी की पार्टी के नेताओं को (नियमों के) उल्लंघन के लिए सजा देना देश में कंपनी की व्यापारिक संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएगा।"
अधिकारियों ने कहा कि दास की ये दखलअंदाजी भाजपा और हिंदू कट्टरवादियों के प्रति फेसबुक के पक्षपातपूर्ण रवैये की एक कड़ी है।
दास पर चुनाव के दौरान भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया गया है।