कोरोना से मौत के डर के आधार पर नहीं दी जा सकती अग्रिम जमानत- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सिर्फ कोरोना से मौत होने के डर के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। इसके लिए अपराध के स्वरूप और गंभीरता पर विचार करना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के कैदियों को जमानत देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले पर भी रोक लगा दी है।
प्रकरण
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया था कैदियों को अग्रिम जमानत देने का आदेश
बता दें कि पिछले सप्ताह धोखाधड़ी और ठगी सहित 130 मामलों में जेल की सजा काट रहे अपराधी प्रतीक जैन ने कोरोना महामारी के आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उसे अग्रिम जमानत देने के साथ राज्य सरकार को भी कोरोना महामारी को देखते हुए जेलों में बंद अपराधियों को निश्चित अवधि के लिए अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया था।
कारण
हाई कोर्ट ने जमानत देने के लिए दिया था यह तर्क
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी और जेलों में अधिक भीड़ को देखते हुए अभियुक्तों, जेल कर्मियों और यहां तक कि पुलिस के जीवन को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में सरकार को जेलों में बंद अपराधियों को अग्रिम जमानत देनी चाहिए।
हाई कोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सरकार का कहना था कि गंभीर अपराधियों को जमानत नहीं दी जा सकती है।
हवाला
हाई कोर्ट ने दिया था सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया था। जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि भारत में जेल भरी हुई हैं। ऐसे में पुलिस, जेलकर्मी और कैदियों की सेहत को देखते हुए जेलों में भीड़ को कम किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस बात से आंखें बंद नहीं कर सकते कि यदि आरोपी जिंदा ही नहीं रहेंगे तो फिर उन पर केस कैसे चलेगा।कोरोना काल में ऐसी संभावना अधिक है।
सुनवाई
इस तरह के एकतरफा बयान पर लगा सकते हैं रोक- सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई में जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की बेंच ने कहा, "किसी भी व्यक्ति को जेल भेजने पर कोरोना से मौत होने के डर की वजह से अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।"
कोर्ट ने कहा, "आपको (उत्तर प्रदेश सरकार) टिप्पणियों से परेशानी है। यह एकतरफा टिप्पणी थी कि सभी को अग्रिम जमानत दी जाए। हम इस पर नोटिस जारी करेंगे, लेकिन स्टे नहीं लगाएंगे। हां हम एकतरफा बयान पर रोक लगाते हैं।"
पुनरावृत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को भी खारिज की थी कैदी की जमानत याचिका
बता दें कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक होटल परिसर में वेश्यावृत्ति कराने के मामले में गिरफ्तार होटल मालिक को भी अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
आरोपी ने पहले हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने आदेश को चुनौती दी थी।
उस दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोरोना होने के डर के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।