कृषि कानून: आज दिल्ली के पास ट्रैक्टर रैली निकालेंगे किसान, बदले गए कई रूट
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान आज दिल्ली के आसपास ट्रैक्टर रैली निकालेंगे और इसमें हजारों ट्रैक्टर हिस्सा लेंगे। किसान 135 किलोमीटर लंबे छह लेन के वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ये मार्च निकालेंगे और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से हरियाणा के पलवल जाएंगे। इसके बाद वे इसी रास्ते से वापस लौट आएंगे। इसके अलावा हरियाणा के अन्य कई गांवों में भी किसान कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बुलाई है रैली
आज हो रही इस ट्रैक्टर रैली का आयोजन 40 किसान संगठनों के साझा संगठन संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किया जा रहा है। पहले ये रैली मंगलवार को होनी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे टाल दिया गया। हरियाणा पुलिस ने किसानों को रैली की अनुमति देते हुए कहा कि उन्हें लगभग 2,500 ट्रैक्टरों के इसमें शामिल होने की उम्मीद है और ये रैली सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक हो सकती है।
कई जगह पर डायवर्ट किया गया ट्रैफिक
रैली के कारण ट्रैफिक में समस्या आने का अनुमान भी है और पुलिस ने लोगों को वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस पर जाने से बचने की सलाह दी है। कई रूटों को डायवर्ट भी किया गया है और वाहनों को बील अकबरपुर और सिरसा से एक्सप्रेसवे पर चढ़ने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने सिंघु, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर को बंद कर दिया है और लौगों को वैकल्पिक रास्ता लेने को कहा है।
26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली की तैयारी कर रहे हैं किसान
बता दें कि किसान 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर भी दिल्ली में एक बड़ी ट्रैक्टर रैली निकालेंगे और आज की इस रैली को इसी का अभ्यास माना जा रहा है। किसान नेताओं ने इस रैली में हरियाणा के हर गांव से 10 ट्रैक्टर रैली आने की बात कही है और इसके अलावा हर परिवार से कम से कम एक सदस्य को रैली में भेजने की अपील भी की है।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
असफल रही है किसानों और सरकार के बीच सात दौर की बातचीत
इस गतिरोध को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार और किसानों के बीच सात दौर की बातचीत भी हो चुकी है, हालांकि इनमें कोई समाधान नहीं निकला है। 4 जनवरी को हुई पिछली बातचीत में सरकार ने साफ कर दिया कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी और किसान चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। किसान भी अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और उन्हें कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।