बिहार के बाद छत्तीसगढ़ में दिमागी बुखार की दस्तक, बीमार तीन बच्चे अस्पताल में भर्ती
बिहार में 135 से ज्यादा बच्चों की जान ले चुकी एक्युट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी बुखार) ने अपने पैर छत्तीसगढ़ तक फैला लिए हैं। राज्य में तीन बच्चे दिमागी बुखार इसकी चपेट में आ गए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। ये मामले जगदलपुर जिले के हैं। इन बच्चों की उम्र तीन, चार और सात साल बताई जा रही हैं। इन बच्चों की बस्तर इलाके के दिमरापाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
बच्चों में जापानी बुखार के भी लक्षण
अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने बताया कि इन बच्चों में जापानी बुखार के भी लक्षण देखे गए हैं। राज्य में दिमागी बुखार के ये शुरुआती मामले हैं। इस बुखार के लक्षण सबसे पहले चार वर्षीय बच्चे भुनाव नाग में देखे गए थे, जिसकी हालत गंभीर बनी हुई है। अधिकारियों ने बताया कि ये मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट पर रखा गया है। बता दें, बिहार में बुखार के कारण मेडिकल आपातकालीन जैसे हालत बने हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बिहार मामला
बिहार में इस बुखार के कारण सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर जिले में हुई हैं। यहां 112 से ज्यादा बच्चे बुखार और अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मौत के मुंह में समा चुके हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बीमारी से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम का गठन करने की तत्काल मांग की गई है। सोमवार को इस पर सुनवाई होगी।
मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब
बिहार में हो रही बच्चों की मौतों को लेकर मानवाधिकार आयोग ने बिहार और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। आयोग ने जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
क्या है दिमागी बुखार?
दिमागी बुखार एक खतरनाक बीमारी है, जो कई कारणों से फैलती है। बच्चों में रब्बिस वायरस, हर्पिस सिम्प्लेक्स पोलियो वायरस, खसरे का विषाणु और छोटी चेचक के विषाणु की वजह से यह बीमारी हो जाती है। जिन बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, उन्हें बहुत जल्दी यह बुखार अपनी चपेट में ले लेता है। यह बुखार खतरनाक जीवाणु इन्सेफेलाइटिस के संक्रमण से होता है, जो शरीर में अपना वायरस तेज़ी से फैलाता है।
ये हैं दिमागी बुखार के लक्षण
जिन बच्चों को यह बुखार होता है, उनके शरीर में ऐंठन होती है और बच्चा बेहोश हो जाता है। इसके अलावा उसे उल्टी आती है और चिड़चिडेपन की शिकायत भी रहती है। चमकी यानी दिमागी बुखार होने पर दिमाग में सूजन भी हो जाती है।
कैसे करें बचाव
दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों को पूरी तरह आराम करवाएं। बच्चा बहकी-बहकी बात कर रहा हो तो बिना झल्लाएं उसकी बातों का जवाब बिना दें। उसके मानसिक संतुलन को बिगड़ने न दें। इस समय उसे ख़ास ख़्याल की ज़रूरत होती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को जितना शांत और अंधेरे कमरे में रखेंगे, वह उतनी ही जल्दी ठीक होगा। पीड़ित बच्चे को टीवी और मोबाइल से दूर रखें, वरना उन्हें सिरदर्द की समस्या हो सकती है।