सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में कड़ी सुरक्षा, सोशल मीडिया पर खास नजर
क्या है खबर?
अयोध्या जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की घड़ी करीब आती जा रही है। इस बीच सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस पूरी तरह चाक-चौबंद है और उसने चार स्तरीय सुरक्षा योजना बनाई है।
इसमें से अगर एक तरीका असफल रहता है तो दूसरे को अपनाया जाएगा।
अयोध्या में 12,000 पुलिसवालों को तैनात कर दिया गया है और अगले हफ्ते और बल भेजे जाएंगे।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
सुरक्षा योजना
अयोध्या को चार जोन में बांटा गया
सुरक्षा इंतजामों के तहत अयोध्या जिले को चार जोन, रेड, येलो, ग्रीन और ब्लू, में बांटा गया है।
रेड जोन में विवादित जमीन आती है, जबकि येलो जोन में विवादित जमीन से 5 किलोमीटर दूर तक का इलाका आता है।
ग्रीन जोन में 14 किलोमीटर तक का इलाका आता है, जबकि ब्लू जोन में अयोध्या के आसपास के जिले शामिल हैं।
संवदेनशील रेड और येलो जोन में सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CPMF) के पास होगा।
तैयारियां
अयोध्या में चार से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) रैंक के एक अधिकारी को अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था का इनचार्ज बनाया गया है।
पुलिस का कहना है कि वो किसी भी आतंकी हमले, सांप्रदायिक दंगे, जनता के आक्रोश, विवादित जमीन को किसी खतरे और अन्य सभी संभावित परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
अयोध्या में चार से अधिक लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर दिसंबर के अंत तक प्रतिबंध लगा दिया गया है।
जानकारी
स्कूलों में ठहरेंगे सुरक्षा बल, बनेंगी अस्थाई जेलें
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, सुरक्षा बलों के ठहरने के लिए 700 सरकारी, 50 उत्तर प्रदेश बोर्ड से सहायता प्राप्त करने वाले और 25 CBSE स्कूलों में इंतजाम किया गया है। वहीं अयोध्या से सटे अंबेडकरनगर के स्कूलों में आठ अस्थाई जेलें बनाई जाएंगी।
सोशल मीडिया
सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए बनाई गई विशेष टीम
जमीन पर कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है जो पिछले कुछ समय में अफवाह और हिंसा फैलाने का एक बड़ा जरिया बनकर उभरा है।
इसके लिए एक विशेष टीम भी बनाई गई है जिसका नेतृत्व साइबर क्राइम के IG अशोक कुमार सिंह कर रहे हैं।
पुलिस ने सोशल मीडिया पर फैसले के खिलाफ या समर्थन में जश्न मनाने वाले पोस्ट या मैसेज भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
जानकारी
भावना भड़काने वाले लोगों पर लगेगा NSA
पुलिस के निर्देशों के अनुसार, सोशल मीडिया पर भावनाएं भड़काने वाले लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी। अयोध्या के जिला जज ने भी सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट शेयर करने वालों पर पुलिस कार्रवाई का आदेश दिया है।
सुरक्षा इंतजाम
जमीनी परिस्थितियों पर नजर रखने के लिए 16,000 स्वयंसेवकों की टीम
इसके अलावा जमीनी स्थिति और सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए अयोध्या पुलिस ने 16,000 स्वयंसेवकों की एक टीम भी बनाई है जिन्हें एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए जोड़ा गया है।
ये टीम 1,600 गांव में काम करेगी और हर गांव से 10 स्वयंसेवक हैं।
ये स्वयंसेवक जमीनी परिस्थितियों पर नजर रखेंगे और फैसले से पहले या बाद में माहौल खराब करने की किसी भी कोशिश के बारे में पुलिस को बताएंगे।
बयान
यूपी पुलिस प्रमुख बोले, पूरी तरह तैयार और सतर्क
उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख ओपी सिंह का कहना है कि वो अयोध्या विवाद पर फैसले के लिए पूरी तरह तैयार और सतर्क हैं।
उन्होंने बताया, "हम पैदल गश्त दे रहे हैं और शांति बनाए रखने के लिए बैठक कर रहे हैं। सभी पुलिस अधिकारियों को लोगों के संपर्क में रहने को कहा गया है और किसी को भी कानून की धज्जियां उड़ाने की इजाजत नहीं होगी। जरूरत पड़ने पर माहौल खराब करने वाले असामाजिक तत्वों पर NSA लगाया जाएगा।"
एडवाइजरी
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने को कहा
इस बीच केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फैसले से पहले और बाद में सतर्क रहने को कहा है और गृह मंत्रालय ने उन्हें एडवाइजरी जारी की है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया, "सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी भेजी गई है जिसमें उनसे सभी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल तैनात करने और कोई भी अप्रिय घटना न हो, ये सुनिश्चित करने को कहा गया है।"
फैसला
17 नवंबर से पहले आएगा फैसला
बता दें कि अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो चुकी है और मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।
17 नवंबर को CJI गोगोई रिटायर होंगे और मामले पर फैसला इससे पहले सुनाया जाना है।
सुप्रीम कोर्ट 2.77 एकड़ विवादित जमीन के मालिकाना हक पर अपना फैसला सुनाएगी, जिसमें राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड मुख्य पक्ष हैं।