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    केवल फेफड़े की बीमारी नहीं है कोरोना संक्रमण, खून के थक्के भी जम सकते हैं- विशेषज्ञ

    केवल फेफड़े की बीमारी नहीं है कोरोना संक्रमण, खून के थक्के भी जम सकते हैं- विशेषज्ञ

    लेखन भारत शर्मा
    May 08, 2021
    03:07 pm

    क्या है खबर?

    पूरा देश कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। प्रतिदिन रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं।

    आमतौर पर यही कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस संक्रमितों के फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है।

    विशेषज्ञों के अनुसार यह महज फेफड़ों की बीमारी नहीं है, बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है। शरीर के कुछ अंगों को बचाने के लिए जिसे तुरंत हटाना जरूरी होता है।

    स्थिति

    28 प्रतिशत मरीजों में मिले रक्त के थक्के- विशेषज्ञ

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार विशेषज्ञों की माने तो वैश्विक स्तर पर किए गए अध्ययन में सामने आया है कि अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमण के 14 से 28 प्रतिशत मरीजों में रक्त के थक्के जमने की बात सामने आई है। इस बीमारी को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) कहा जाता है।

    इसी तरह दो से पांच प्रतिशत रोगियों में आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस के मामले सामने आए हैं।

    विशेषज्ञों ने बताया कि संक्रमण फेफड़े के साथ रक्त कोशिकाओं से भी जुड़ा हुआ है।

    जानकारी

    भारत में सामने आ रहे है खून के थक्के जमने के मामले- सात्विक

    दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के संवहनी और एंडोवस्कुलर सर्जन डॉ अंबरीश सात्विक ने कहा कि भारत में भी खून के थक्के जमने के मामले सामने आ रहे हैं। उनके यहां प्रत्येक सप्ताह औसतन पांच-छह ऐसे मामलों सामने आ रहे हैं।

    बयान

    टाइप-2 डायबिटीज मिलेटस रोगियों में आ रही परेशानी- डॉ अमरीश

    द्वारका के आकाश हेल्थकेयर में हृदय विभाग के सलाहकार डॉ अमरीश कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण से जूझ रहे उन मरीजों में खून के थक्के जमने का मामला सामने आ रहा है जिनमें टाइप-2 डायबिटीज मिलेटस है। हालांकि, निश्चित कारण अभी तक पता नहीं चला है।

    उन्होंने कहा कि DVT एक गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर के अंदर स्थित नसों में रक्त थक्का जम जाता है। आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस धमनियों में थक्का जमने से जुड़ा हुआ है।

    ट्वीट

    डॉ सात्विक ने ट्वीट कर किया था ध्यान आकर्षित

    डॉ सात्विक ने 5 मई को ट्वीट कर मरीजों में रक्त का थक्का बनने को लेकर ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने एक मरीज की धमनियों में बने रक्त थक्के की फोटो भी पोस्ट की थी।

    सात्विक ने लिखा था, 'खून का थक्का कैसा दिखता है। कोरोना संक्रमण में धमनी में थक्का जमने के कारण दिल का दौरा, स्ट्रोक या शरीर के अंगों का काम नहीं करना दो से पांच फीसदी तक होता है। हमने एक एक मरीज को बचाया है।'

    दावा

    कोरोना वायरस में पाई जाती है थ्रम्बोइंबोलिज्म की ज्यादा दर

    गत वर्ष नवंबर में लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के शोधकर्ताओं ने कहा था कि कारोना वायरस और थ्रम्बोइंबोलिज्म (TE) के बीच काफी संबंध है। रक्त थक्का जमने के कारण रक्त कोशिका का बाधित होना ही थ्रम्बोइंबोलिज्म कहा जाता है।

    शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि कोरोना वायरस में थ्रम्बोइंबोलिज्म की दर अधिक है और इसमें मौत होने का ज्यादा खतरा होता है। इसके बाद से ही विशेषज्ञ इसके पर और शोध करने में जुट गए थे।

    बयान

    अभी तक कोरोना वायरस के पैथोफिजियोलॉजी को ही समझ रहे हैं विशेषज्ञ- सात्विक

    डॉ सात्विक ने कहा, "हम पिछले एक साल से ज्यादा समय से कोरोना वायरस के पैथोफिजियोलॉजी को ही समझ रहे हैं। जब यह चीन और पश्चिमी देशों में फैला तो इसे वायरल न्यूमोनिया माना गया था। कोरोना संक्रमण के गंभीर मामलों को एक्यूट रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) बताया गया था। इसके कारण मरीज का दम घुटने लगता है।"

    फिलहाल, परीक्षण में सामने आया है कि डॉक्टर जो समझ रहे थे वह सिर्फ ARDS नहीं था।

    गंभीरता

    अस्पताल में भर्ती 30 प्रतिशत मरीजों में आ रही समस्या- कुमार

    डॉ कुमार ने कहा, "एक कोरोना संक्रमित मरीज में जब रक्त धमनियां अवरुद्ध होती है तो वह एक प्रोटीन का निर्माण करती हैं। इससे प्लेटलेट्स और खून के थक्के जमाने वाले कारकों को आकर्षित करता है।"

    उन्होंने कहा, "अब तक किए गए अध्ययनों से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों से से 20-30 प्रतिशत में खून के थक्के जमने की शिकायत पाई गई है। यह गंभीर स्थिति है।"

    खतरा

    कोरोना संक्रमितों में सामान्य से 100 प्रतिशत अधिक है खून के थक्के जमने का खतरा

    ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अप्रैल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद खून के थक्के जमने का खतरा सामान्य से लगभग 100 गुना अधिक होता है।

    अध्ययन के अनुसार सेरेब्रल वेन्स थ्रोम्बोसिस (CVT) के नाम से जाना जाने थक्का कोरोना संक्रमित मरीजों में आम तौर पर देखा गया है। अध्ययन में पांच लाख संक्रमितों को शामिल किया गया था। शोध के अनुसार 10 लाख लोगों में से 39 में यह खतरा होता है।

    संक्रमण

    भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति

    भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 4,01,078 नए मामले सामने आए और 4,187 मरीजों की मौत हुई। महामारी की शुरुआत के बाद ये एक दिन में हुईं सबसे ज्यादा मौतें हैं।

    इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,18,92,676 हो गई है। इनमें से 2,38,270 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 37,23,446 हो गई है।

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