
CJI गवई ने कहा- न्यायिक सक्रियता न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदलनी चाहिए
क्या है खबर?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने ऑक्सफोर्ड यूनियन में कहा कि भारत में न्यायिक सक्रियता बनी रहेगी, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदलना चाहिए।
अधिवक्ता तन्वी दुबे द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए CJI ने गवई ने कहा कि कुछ लोग सीमाएं लांघकर ऐसी जगह में प्रवेश करते हैं, जहां आमतौर पर न्यायपालिका को प्रवेश नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नागरिकों की रक्षा के लिए न्यायपालिका को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
चिंता
CJI ने क्या कहा?
CJI गवई ने कहा, "भारत में न्यायिक सक्रियता बनी रहेगी, लेकिन इसे न्यायिक सक्रियता को न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदलना चाहिए।"
उन्होंने बताया कि न्यायिक समीक्षा का प्रयोग बहुत सीमित क्षेत्र में, बहुत अपवाद स्वरूप मामलों में किया जाना चाहिए, जैसे कोई कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता हो, या संविधान के मौलिक अधिकार के साथ टकराव में हो, या कानून बहुत मनमाना होता तो कोर्ट इसका प्रयोग कर सकती हैं।
जाति
जाति को लेकर क्या बोले CJI?
जाति को लेकर CJI ने कहा, "भारत में कई दशक पहले लाखों नागरिकों को अछूत कहा जाता था। उन्हें अशुद्ध बताया जाता था। कहा जाता था कि वे इस जाति के नहीं हैं। उन्हें बताया जाता था कि वे अपनी बात खुद नहीं कह सकते। लेकिन आज हम यहां हैं, जहां उन्हीं लोगों से संबंधित एक व्यक्ति देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर आसीन होकर खुलकर बोल रहा है।"