कोरोना वायरस: सक्रिय मामलों में बच्चों की हिस्सेदारी बढ़ी, विशेषज्ञों ने कहा- चिंता की बात नहीं
क्या है खबर?
कोरोना वायरस पर केंद्र सरकार के सशक्त समूह-1 के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस साल मार्च के बाद से सक्रिय मामलों में 10 साल से कम उम्र के बच्चों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
आंकड़ों के अनुसार, मार्च में देश के कुल सक्रिय मामलों में 10 साल तक के बच्चों की हिस्सेदारी 2.80 प्रतिशत थी और अगस्त में ये आंकड़ा 7.04 प्रतिशत हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये बदलाव चिंताजनक नहीं है।
प्रभावित राज्य
मिजोरम में सक्रिय मामलों में बच्चों की सबसे अधिक हिस्सेदारी
सशक्त समूह-1 की बैठक में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, जिन 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें मिजोरम में सक्रिय मामलों में बच्चों की सबसे अधिक 16.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
मेघालय (9.35 प्रतिशत), मणिपुर (8.74 प्रतिशत), केरल (8.62 प्रतिशत), अंडमान और निकोबार (8.2 प्रतिशत), सिक्किम (8.02 प्रतिशत), दादर और नागर हवेली (7.69 प्रतिशत) और अरुणाचल प्रदेश (7.38 प्रतिशत) अन्य ऐसे राज्य हैं जहां सक्रिय मामलों में बच्चों की हिस्सेदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
अच्छा प्रदर्शन
दिल्ली में सक्रिय मामलों में बच्चों की सबसे कम हिस्सेदारी
कम हिस्सेदारी वाले राज्यों की बात करें तो दिल्ली में सक्रिय मामलों में बच्चों की सबसे कम 2.25 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इसी तरह त्रिपुरा (3.54 प्रतिशत), महाराष्ट्र (4.08 प्रतिशत), ओडिशा (4.18 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (4.53 प्रतिशत), कर्नाटक (4.59 प्रतिशत), असम (5.04 प्रतिशत), नागालैंड (5.48 प्रतिशत), गोवा (6.86 प्रतिशत) और पुडुचेरी (6.95 प्रतिशत) अन्य ऐसे राज्य हैं जहां सक्रिय मामलों में बच्चों की हिस्सेदारी राष्ट्रीय औसत (7.04 प्रतिशत) से कम है।
बयान
इसलिए बढ़ रही मामलों में बच्चों की हिस्सेदारी
इन आंकड़ों पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि बच्चों में कोविड मामलों का अनुपात बढ़ा है क्योंकि वयस्क आबादी के संक्रमित होने का खतरा कम हो गया है। उन्होंने कहा, "ये मामूली बदलाव है, लेकिन बड़ी तस्वीर को देखते हुए हम इसे नाटकीय नहीं कह सकते। हमें इस पर नजर रखने की जरूरत है।"
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कभी ऐसी स्थिति आएगी कि बच्चे कोविड के कारण अभिभूत हो जाएंगे।
बयान
जागरूकता और सतर्कता बढ़ने से भी हुआ बच्चों की हिस्सेदारी में इजाफा- सूत्र
दूसरे सूत्र ने कहा, "बच्चों के भर्ती होने का अनुपात पहले के मुकाबले बढ़ गया है। ये मुख्य तौर पर दो कारणों से है। पहला, अब ज्यादा जागरूकता और सतर्कता है। दूसरा, जोखिम भी बढ़ गया है।"
सीरो सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सीरो सर्वे में बच्चों में 57-58 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट पाई गई थी और ये दर्शाता है कि बच्चे पहले से ही महामारी का एक बड़ा हिस्सा हैं।
जानकारी
जताई जा रही थी तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने की संभावना
ये आंकड़े ये देखते हुए अहम हो जाते हैं कि विशेषज्ञों ने तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जताई थी। सशक्त समूह ने बच्चों के लिए 5 प्रतिशत ICU बेड और 4 प्रतिशत ऑक्सीजन बेड रिजर्व करने को भी कहा था।