SC में केंद्र सरकार- दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं बन सकते, NRC डेडलाइन बढ़ाने की मांग
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की सूची को अंतिम रूप देने के लिए और समय मांगा है और डेडलाइन आगे बढ़ाने की मांग की है। केंद्र सरकार की दलील है कि भारत को दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं बन सकता और NRC मसौदे में गलती से शामिल हुए लाखों लोगों के नाम हटाने की जरूरत है। बता दें कि NRC सूची को अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की डेडलाइन है।
अधिकारियों की मिलीभगत से शामिल हुआ गलत लोगों का नाम
शुक्रवार को केंद्र सरकार के साथ असम सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया, "स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से बांग्लादेश की सीमा के पास के इलाकों में लाखों लोगों का नाम NRC सूची में गलत शामिल हो गया है। इसकी जांच के लिए और वक्त की जरूरत है।"
गृह मंत्री ने कही थी इंच-इंच जमीन से अवैध आप्रवासियों को बाहर भेजने की बात
बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा था कि उनकी सरकार देश की इंच-इंच जमीन पर अवैध आप्रवासियों की पहचान करके उन्हें देश से बाहर भेजेगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, "NRC असम समझौते का हिस्सा है और ये हमारे चुनावी घोषणापत्र में भी था, जिसके आधार पर सरकार सत्ता में आई। देश की इंच-इंच जमीन पर जो अवैध प्रवासी रहते हैं, हम उनकी पहचान करेंगे तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उन्हें निर्वासित करेंगे।"
25 लाख आवेदकों ने सरकार से की डेडलाइन बढ़ाने की मांग
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने भी संसद में माना था कि NRC में कुछ भारतीयों को भारत का नागरिक नहीं माना गया हो जबकि कुछ बाहरी लोगों को भारत का नागरिक मान लिया गया हो। उन्होंंने आश्वासन दिया कि NRC को बिना किसी दोष के लागू किया जाएगा और कोई भी असली भारतीय नागरिक इससे बाहर नहीं रहेगा। 25 लाख आवेदकों ने मोदी सरकार से NRC की विसंगतियों को दूर करने के लिए इसकी डेडलाइन बढ़ाने की अपील की है।
ऐसे शुरू हुआ था असम में NRC का मुद्दा
बांग्लादेश से असम में आने वाले अवैध घुसपैठियों पर बढ़े विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने NRC को अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। असम देश का इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है। इसके अंतिम ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं थे, उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील करने का विकल्प दिया गया था।