राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने को कैबिनेट की मंजूरी, जानिये इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रीमंडल ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसकी प्रक्रिया के लिए 8,500 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई है। इसके तहत लोगों से उनके परिजनों के जन्म स्थान और तारीख, पिछला पता, PAN नंबर, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, आधार नंबर (स्वैच्छिक) और मोबाइल नंबर समेत अलावा 21 बिंदुओं की जानकारी मांगी जाएगी। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पिछली बार से अलग होंगी इस साल ली जाने वाली जानकारियां
पिछली बार 2010 में NPR की प्रक्रिया में लोगों से उनके परिजनों के जन्मस्थान और तारीख, पिछला पता, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, PAN, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, मतदाता पहचान पत्र और मोबाइल नंबर नहीं मांगे गए थे। इस बार लोगों से बायोमैट्रिक डाटा नहीं लिया जाएगा।
क्या है राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर?
NPR देश में रह रहे स्थानीय निवासियों (Usual residents) की एक सूची है। यहां सामान्य नागरिकों से मतलब ऐसे लोगों से हैं जो किसी इलाके में कम से कम छह महीने से रह रहे हैं या जो किसी इलाके में अगले छह महीने तक रहने वाले हैं। ध्यान देने वाली बात है कि NPR नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) की तरह की प्रक्रिया नहीं है। NPR में भारत में छह महीनों से रह रहे विदेशियों को भी शामिल किया जाएगा।
असम में नहीं लागू होगी यह प्रक्रिया
नियमों के अनुसार भारत में रह रहे सभी स्थानीय निवासियों को खुद को NPR में रजिस्टर करवाना जरूरी है। हालांकि, यह प्रक्रिया असम में लागू नहीं होगी। इसकी अंतिम गणना अप्रैल, 2020 में शुरू होगी और यह सितंबर, 2020 तक चलेगी। ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे देशभर के 1,400 गांव और 40 शहरों में लागू कर दिया है। इसमें लोगों से अलग-अलग डाटा पूछा जा रहा है।
NPR में कैसा डाटा इकट्ठा किया जाता है?
NPR में भौगोलिक और बायोमैट्रिक डाटा इकट्ठा किया जाता है। भौगोलिक डाटा के लिए के लिए नागरिकों से उनके नाम, जन्मस्थान, शिक्षा, व्यवसाय समेत 15 बिंदुओं पर जानकारी ली जाती है। वहीं बायोमैट्रिक डाटा के लिए यह आधार कार्ड पर आधारित है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड की जानकारी देना अनिवार्य नहीं रहा है। इनके अलावा लोगों से मोबाइल नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट नंबर आदि मांगे जाएंगे।
कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुआ था NPR
NPR की शुरुआत साल 2009 में कांग्रेस सरकार के समय की गई थी। अब इसे अपडेट किया जा रहा है। 2011 की जनगणना के लिए 2010 में घर-घर जाने के दौरान ही NPR के लिए जानकारी इकठ्ठा की गई थी। इस डाटा को 2015 में घर-घर सर्वे करके अपडेट किया गया था। साथ ही इस डाटा का डिजिटलाइजेशन भी किया जा चुका है। अगस्त में NPR को अपडेट करने के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था।
NRC से कैसे अलग हैं NPR?
देश में इन दिनों प्रस्तावित NRC को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। NRC के तहत सरकार भारत में रह रहे अवैध घुसपैठियों की पहचान करेगी। अगर किसी व्यक्ति का NRC में नाम नहीं आता है तो उसे भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा। वहीं NPR में दर्ज आंकड़ों को सरकार अपनी योजनाओं के लिए इस्तेमाल करती है। इसमें नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों की भी जानकारी हासिल की जाती है। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता है।
असदुद्दीन ओवैसी ने दी अहम जानकारी
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने NPR और NRC को एक तरह से जोड़ते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि NPR और NRC के बीच ताल्लुक को समझना अहम है। ओवैसी ने लिखा, 'NPR भारत में रहने वाले सभी 'सामान्य निवासियों' का इकट्ठा किया आंकड़ा है। नागरिकता नियमों के मुताबिक, नागरिकों को गैर-नागरिकों से अलग करने के बाद भारतीय नागरिकों का नेशनल रजिस्टर पेश किया जाएगा। यह छंटनी कैसे की जाती है?'
एक अधिकारी के हाथ में होगा नागरिकता का फैसला- ओवैसी
ओवैसी ने लिखा कि एक स्थानीय अधिकारी स्थानीय नागरिकों की सूची में से 'संदिग्ध नागरिकों' को नोटिस भेजता है। इन 'संदिग्धों' को अपनी नागरिकता सिद्ध करनी होगी। इसके बाद सूची प्रकाशित की जाती है। उन्होंने लिखा कि अगर आपको लगता है कि ड्राफ्ट सूची में नाम आ जाना काफी नहीं है। नियमों के मुताबिक, सूची में नाम शामिल होने पर आपत्ति दर्ज की जा सकती है। आपकी भारतीयता पर फैसला एक अधिकारी के हाथ में होगा।