त्रिपुरा: उग्रवादियों का घात लगाकर हमला, BSF का एक जवान शहीद
क्या है खबर?
त्रिपुरा में आज उग्रवादी हमले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) का एक जवान शहीद हो गया। उग्रवादियों ने जवानों पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें हवलदार गिरजेश कुमार उदय गंभीर रूप से घायल हो गए।
उन्हें एयरलिफ्ट करके तुरंत अगरतला के अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
जवानों की जवाबी फायरिंग के बाद उग्रवादी मौके से फरार हो गए और उन्हें पकड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
घटना
भारत-बांग्लादेश सीमा के पास हुई घटना
घटना उत्तरी त्रिपुरा में भारत और बांग्लादेश की सीमा के पास हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंचनपुर सब-डिविजन के पानीसागर सेक्टर की 145वीं BSF बटालियन की एक टीम सीमावर्ती इलाकों में गश्त के लिए गई थी, तभी उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) के एक गुट के उग्रवादियों ने घात लगाकर जवानों पर फायरिंग कर दी।
जवाब में BSF के जवानों ने भी फायरिंग की, जिसके बाद उग्रवादी घने जंगल का फायदा उठाकर भाग गए।
घायल
हमले में गिरजेश को लगीं चार गोलियां
उग्रवादियों के हमले में गश्त पार्टी में शामिल हवलदार गिरजेश गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि गिरजेश को हमले में चार गोलियां लगीं।
उन्हें एयरलिफ्ट करके हेलीकॉप्टर से अगरतला के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। समाचार एजेंसी IANS के अनुसार, वह मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
त्रिपुरा BSF IG मौके पर पहुंच गए हैं और उग्रवादियों को पकड़ने के अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
उग्रवाद
पूर्वोत्तर के सभी राज्य उग्रवाद से प्रभावित
बता दें कि त्रिपुरा समेत पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्य उग्रवाद से प्रभावित हैं और उग्रवादी अक्सर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते रहते हैं।
नागालैंड उग्रवाद से प्रभावित सबसे पुराना राज्य है, हालांकि यहां पिछले कुछ सालों से एक बड़ी उग्रवादी संगठन और सुरक्षा बलों के बीच सीजफायर है।
असम भी उग्रवाद से काफी प्रभावित रहा है और एक समय पर यहां यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (ULFA) का बेहद आतंक रहा था।
AFSPA
न्यूजबाइट्स प्लस
उग्रवाद से निपटने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के कई इलाकों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) लागू है। इस अधिनियम में सुरक्षा बलों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं।
यह अधिनियम 1958 में लाया गया था और इसे सबसे पहले असम और मणिपुर में लागू किया गया था।
स्थिति को देखते हुए इसके अंतर्गत आने वाले इलाकों की संख्या में बदलाव होता रहता है। हाल ही में असम, नागालैंड और मणिपुर के कई इलाकों से AFSPA हटाया गया था।