कौन हैं CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ? जानिये उनके बारे में सबकुछ
क्या है खबर?
कैफे कॉफी डे (CCD) के मालिक वीजी सिद्धार्थ सोमवार से लापता है।
पुलिस ने उनकी तलाश के लिए अभियान चलाया हुआ है, लेकिन अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है।
सिद्धार्थ को आखिरी बार नेत्रवती नदी पर बने उल्लाल पुल पर देखा गया था। इसी बीच उनकी एक चिट्ठी सामने आई है, जिसमें उन्होंने एक आयकर अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
आइये, सिद्धार्थ और उनके अब तक के सफर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानकारी
एसएम कृष्णा के दामाद हैं सिद्धार्थ
सिद्धार्थ की शादी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा की बेटी मालविका से हुई है। कृष्णा, मनमोहन सिंह सरकार के समय विदेश मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था।
पढ़ाई
मैंगलोर यूनिवर्सिटी से की मास्टर्स
सिद्धार्थ का परिवार दशकों से कॉफी उत्पादन के काम में लगा है, लेकिन उनके लिए इस बिजनेस में करियर बनाना कभी प्राथमिकता नहीं रहा था।
चिकमंगलुरू में जन्में सिद्धार्थ ने मैंगलोर यूनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स में मास्टर्स की।
पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1983 जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड में नौकरी शुरू की।
महज 24 साल की उम्र में उन्होंने महेंद्रा कंपनी के साथ वाइस चेयरमैन के पद पर काम किया। दो साल बाद उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी।
करियर
1984 में खोली थी पहली कंपनी
नौकरी छोड़ने के बाद सिद्धार्थ अपना बिजनेस शुरू करने के लिए बेंगलुरू (तब बैंगलोर) आ गए।
अपनी पिता से थोड़ी मदद लेकर उन्होंने 1984 में सिवन सिक्योरिटीज शुरू की और इसे एक सफल स्टॉक-ब्रोकिंग कंपनी के रूप में खड़ा किया।
साल 2000 में इसका नाम बदलकर वे2हेल्थ (Way2Health) सिक्योरिटीज किया गया।
इसी बीच में 1992 में सिद्धार्थ ने कॉफी के बिजनेस में अपना पहला कदम रखा और देश में कैफे कॉफी डे के आउटलेट खुलने शुरू हुए।
प्रेरणा
जर्मन कंपनी से मिली कैफे खोलने की प्रेरणा
साल 1994 में सिद्धार्थ ने जर्मन कंपनी Tchibo के बारे में पढ़ा।
कंपनी ने 1949 में 10X10 साइज के एक स्टोर से अपना काम शुरू किया था और बाद में कई जगहों पर इसके रिटेलर्स और कैफे खुले। यहीं से सिद्धार्थ को प्रेरणा मिली।
साल 2015 में दिए इंटरव्यू में सिद्धार्थ ने बताया कि उन्होंने दूसरे देशों में कॉफी भेजना शुरू किया, लेकिन उन्हें लगा कि इससे कोई खास फायदा नहीं होगा।
1995 में उन्होंने कैफे खोलने की योजना बनाई।
जानकारी
बेंगलुरू में खुला पहला CCD स्टोर
उन्होंने बताया कि कॉफी कैफे में मुनाफा ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कॉफी पाउडर में 100 प्रतिशत मुनाफा है, लेकिन कैफे के बिजनेस में यह 800-900 प्रतिशत तक है। इस तरह 1996 में बेंगलुरू के ब्रिगेड रोड पर पहला CCD स्टोर खुला।
CCD
कैफे तक सीमित नहीं रहा CCD का काम
इसके बाद CCD ने कैफे खोलने शुरू कर दिए। कैफे के अलावा कंपनी ने 'द लाउंज' और 'द स्क्वेयर' भी खोले।
सिर्फ इतना ही नहीं, CCD ने संस्थाओं और दूसरे ग्राहकों को वेंडिंग मशीन भी बेची, जिससे वो कियोस्क लगा सके।
मार्च 2019 तक कंपनी के देश और विदेशों में 1,752 कैफे, 48,000 वेंडिंग मशीन, 532 कियोस्क और लगभग 400 कॉफी सेलिंग आउटलेट हैं।
बीते वित्त वर्ष में कंपनी का रेवेन्यू 1,777 करोड़ रुपये रहा था।
निवेश
माइंडट्री में किया था निवेश
खुद को कॉफी के बिजनेस तक सीमित न रखते हुए सिद्धार्थ ने नौ अन्य लोगों के साथ मिलकर IT फर्म माइंडट्री में निवेश किया था।
1999 से लेकर अब तक वो इसमें 340 करोड़ रुपये निवेश कर चुके हैं। उन्होंने यह पैसा CCD की सब्सिडियरी कंपनी कॉफी डे ट्रेडिंग के जरिए निवेश किया था।
इस साल की शुरुआत में उन्होंने अपना हिस्सा L&T को बेच दिया था। उन्होंने 3,000 करोड़ का भारी-भरकम होम लोन भी लिया था।
आर्थिक परेशानी
आर्थिक संकट से परेशान थे सिद्धार्थ
पिछले कुछ समय सिद्धार्थ का समय उनके लिए सही साबित नहीं हुआ।
2017 में आयकर विभाग ने देशभर के 20 शहरों में उनके ऑफिस और घरों पर छापेमारी की।
साथ ही उनकी कंपनी पर कर्ज का भार भी बढ़ रहा था। खबरें आई थीं कि उन्होंने माइंडट्री में अपना हिस्सा बेचकर कुछ कर्ज चुकाया था, लेकिन इससे समस्याएं हल नहीं हुई।
पुलिस भी मान रही है कि आर्थिक समस्याओं से घिरे सिद्धार्थ पिछले कुछ समय से परेशान थे।