
अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में 2 साल की सजा, विधायकी पर भी लटकी तलवार
क्या है खबर?
माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर सीट से विधायक अब्बास अंसारी को साल 2022 के हेट स्पीच (नफरती या भड़काऊ भाषण) मामले में बड़ा झटका लगा है।
मऊ के जिला एवं सत्र न्यायालय न्यायाधीश ने मामले में विधायक अब्बास को दोषी करार देते हुए 2 साल कारावास और 3,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अब्बास की विधायकी पर भी तलवार लटक गई है। विधानसभा स्पीकर इस पर फैसला करेंगे।
फैसला
गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर सुनाया फैसला
मऊ की विशेष सांसद/विधायक (MP/MLA) कोर्ट के न्यायाधीश डॉ केपी सिंह ने मामले में लंबी सुनवाई के बाद गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर अब्बास को दोषी करार देते हुए 2 साल का कारावास और 3,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
इसी तरह मामले में दूसरे अन्य आरोपी मंसूर अंसारी को 6 महीने की सजा और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
सजा सुनाए जाने के बाद दोनों ने पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
प्रकरण
क्या है हेट स्पीच का मामला?
अब्बास का यह मामला साल 2022 के विधानसभा चुनाव का है। चुनाव के दौरान पहाड़पुरा इलाके में एक जनसभा में उन्होंने कथित तौर भड़काऊ बयाान दिया था।
आरोप है कि उन्होंने अधिकारियों को सत्ता में आने के बाद हिसाब-किताब करने की धमकी दी थी।
इसे हेट स्पीच मानते हुए मऊ कोतवाली में उप निरीक्षक (SI) गंगाराम बिंद ने FIR दर्ज कराई थी। लगभग 3 साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अब्बास को दोषी मानते हुए सजा सुना दी।
जानकारी
इन धाराओं में दर्ज हुई थी FIR
अब्बास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 171F , धारा 186 (राजकार्य में बाधा), धारा 189 (लोक सेवक को धमकाना), धारा 153A (दो समुदायों में वैमनस्य फैलाना), धारा 120B (आपराधिक साजिश) के तहत FIR दर्ज हुई थी।
विकल्प
अब्बास के पास अब क्या है विकल्प?
कोर्ट से सजा मिलने के बाद अब विधायक अब्बास के पास फैसले को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट जाने का रास्ता है। वह मामले की सुनवाई तक निचली अदालत के फैसल पर स्थगन आदेश ले सकते हैं।
इधर, अब्बास के वकील ने स्पष्ट किया है कि वे फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
उनका आरोप है कि कोर्ट में उनके पक्ष को पूरी तरह सुना नहीं गया। ऐसे में वह अब हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
सवाल
क्या जाएगी अब्बास की विधायकी?
कोर्ट का फैसला अब्बास के राजनीतिक करियर को प्रभावित कर सकता है।
भारतीय जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) के तहत अगर किसी विधायक या सांसद को किसी मामले में 2 साल से अधिक सजा होती है तो उसकी विधानसभा या लोकसभा की सदस्यता रद्द हो जाती है।
हालांकि, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से बरी होने पर उसकी सदस्यता फिर से बहाल हो जाती है। ऐसे में अब्बास की विधानसभा सदस्यता को लेकर अब स्पीकर अधिसूचना जारी करेंगे।
जीत
अब्बास ने 38,000 से अधिक वोटों से दर्ज की थी जीत
बता दें कि अब्बास ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) गठबंधन के तहत मऊ सदर सीट से SBSP के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
इसके बाद उन्होंने चुनाव में भाजपा के अशोक सिंह को 38,116 वोटों से हराया था।
उनके पिता दिवंगत गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी भी मऊ से 5 बार विधायक रहे थे। अब्बास क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं, लेकिन यह कार्रवाई उनके लिए बड़ा झटका है।