कोरोना वायरस: किल्लत के बीच 50,000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का आयात करेगा भारत
क्या है खबर?
देश में चल रही कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते मामलों के कारण आई ऑक्सीजन की कमी की पूर्ति करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
इसके तहत सरकार ने जहां देश में ऑक्सीजन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए PM केयर्स फंड के इस्तेमाल की मंजूरी दी है, वहीं मरीजों की संख्या के अनुसार मांग की पूर्ति के लिए 50,000 मीटि्रक टन मेडिकल ऑक्सीजन आयात करने का भी निर्णय किया है।
हालात
देश में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,17,353 नए मामले सामने आए और 1,185 मरीजों की मौत हुई है। देश में लगातार दूसरे दिन दो लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं।
इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1,42,91,917 हो गई है। इनमें से 1,74,308 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 15,69,743 हो गई है।
मांग
12 राज्यों में ऑक्सीजन की ज्यादा मांग
बता दें कि देश में तेजी से बढ़ते संक्रमण के मामलों के कारण देश के 12 राज्यों में ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं।
हालात यह है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड्स लगभग भर चुके हैं और मरीजों को मांग के अनुसार बेड भी नहीं मिल पा रहे हैं। इससे खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
कमी
महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की सबसे अधिक किल्लत
महामारी से सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की सबसे अधिक किल्लत देखने को मिली है और यहां बाजार में ऑक्सीजन सिलेंडर मिलना मुश्किल हो गए हैं।
इसी के साथ ऑक्सीजन की कीमत भी बढ़ गई है और प्रति क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन के दाम 10 से बढ़कर 18 रुपये हो गए हैं।
वहीं पहले सिलेंडर ले जाने के लिए 5,000 रुपये का अग्रिम जमा करना पड़ता था, अब यह 10,000 रुपये हो गया है।
जानकारी
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से की मांग
बता दें कि राज्य में बढ़ती ऑक्सीजन किल्लत को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपनी बेबसी जता चुके हैं। उन्होंने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में 2,000 मीटि्रक टन ऑक्सीजन की जल्द आपूर्ति कराने की मांग की है।
निर्णय
50,000 मीटि्रक टन मेडिकल ऑक्सीजन का किया जाएगा आयात
कोरोना महामारी के लिए चिकित्सा आपूर्ति पर सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह की गुरुवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में महामारी के दौरान आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन की उपलब्धता की समीक्षा की गई है।
इसमें सामने आया कि देश में विनिर्माण संयंत्रों के साथ औद्योगिक ऑक्सीजन स्टॉक सहित देश के वर्तमान ऑक्सीजन स्टॉक 50,000 मीट्रिक टन से अधिक हैं।
ऐसे में बढ़ती मांग को देखते हुए 50,000 मीटि्रक टन मेडिकल ऑक्सीजन का आयात किया जाएगा।
स्टॉक
देश में यह है ऑक्सीजन की स्थिति
सरकार का मानना है कि देश में 7,127 मीट्रिक टन की ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता है और आवश्यकतानुसार स्टील संयंत्रों के साथ उपलब्ध अधिशेष ऑक्सीजन का भी उपयोग किया जा रहा है।
देश में प्रतिदिन 7,127 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की दैनिक उत्पादन क्षमता है। पिछले दो दिनों से इसका कुल उत्पादन 100% रहा है। 12 अप्रैल को देश में मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 3,842 मीट्रिक टन थी, जो कि दैनिक उत्पादन क्षमता का 54% है।
प्लांट
100 अस्पतालों में लगाए जाएंगे ऑक्सीजन प्लांट
सरकार ने यह भी निर्णय किया है कि देश में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए PM केयर्स फंड का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके जरिए देश के 100 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे।
सरकार पहले भी PM केयर्स फंड से ऐसे 162 प्रेशर स्विंग एडजर्बप्शन (PSA) प्लांट लगवा चुकी है और इन्हें समय से पहले शुरू करने के लिए समीक्षा की जा रही है। इनके जल्द शुरू होने से देश में ऑक्सीजन की किल्लत दूर हो सकेगी।
जरूरत
कुल सक्रिय मामलों में से 4.5 प्रतिशत ऑक्सीजन सपोर्ट पर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में वर्तमान में मौजूद कुल 15,69,743 सक्रिय मामलों में से करीब 4.5 प्रतिशत ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे हैं। इसी तरह महज 2.31 प्रतिशत को ICU और 0.46 प्रतिशत को वेंटिलेटर की जरूरत है।
इसके उलट अगस्त 2020 में महामारी की पहली लहर में कुल सक्रिय मामलों के 2.43 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट, 1.77 प्रतिशत को ICU और महज 0.25 प्रतिशत मरीज वेंटिलेटर पर थे।