ओडिशा: उच्च जाति के घर से फूल तोड़ने पर 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार
क्या है खबर?
जिन लोगों को लगता है कि 21वीं सदी के भारत में ऊंच-नीच का भेद पूरी तरह से मिट चुका है, उनके लिए ओडिशा से आंखें खोेल देने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक गांव में सिर्फ इसलिए 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है क्योंकि समुदाय की एक 15 वर्षीय लड़की ने उच्च जाति के एक परिवार के बगीचे से फूल तोड़े लिए थे।
पीड़ितों ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है।
मामला
ढेंकानाल के कांतियो कतेनी गांव का है मामला
मामला ओडिशा के ढेंकानाल के कांतियो कतेनी गांव का है। गांव में लगभग 800 परिवार रहते हैं जिनमें से 40 परिवार अनुसूचित जाति नाइक से संबंध रखते हैं।
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग दो महीने पहले नाइक समुदाय संबंध रखने वाली एक लड़की ने उच्च जाति से संबंध रखने वाले एक परिवार के आंगने से कुछ फूल तोड़ लिए थे।
इस पर दोनों समुदायों में विवाद हो गया और 40 दलित परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
घटनाक्रम
दलितों के माफी मांगने के बावजूद नहीं सुलझा मामला
दलितों का सामाजिक बहिष्कार पिछले दो हफ्ते से जारी है और उनके माफी मांगने के बाद भी मामला सुलझा नहीं है।
फूल तोड़ने वाली लड़की के पिता निरंजन नाइक ने बताया, "हमने तुरंत माफी मांग ली थी ताकि मामले को सुलझाया जा सके। लेकिन घटना के बाद कई बैठकें बुलाई गईं और उन्होंने हमारा बहिष्कार करने का फैसला लिया। किसी को भी हमसे बात करने की अनुमति नहीं है और हम गांव किसी सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकते।"
बयान
ग्रामीणों का आरोप- PDS और किराना मालिकों ने सामान देना बंद किया
ज्योति नाइक नामक एक अन्य ग्रामीण ने आरोप लगाया, "सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और किराना मालिकों ने हमें राशन बेचना बंद कर दिया है जिसके कारण जरूरी सामान खरीदने के लिए हमें पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।"
शिकायत
दलितों ने पुलिस और जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
मामले में 17 अगस्त को नाइक समुदाय ने जिला प्रशासन और संबंधित पुलिस स्टेशन को एक ज्ञापन सौंपा था। इस ज्ञापन में दलितों ने आरोप लगाया है कि उन्हें बटाईदारी से वंचित कर दिया गया है ताकि उन्हें गांव में काम न मिले और काम के लिए बाहर जाना पड़े।
इसमें कहा गया है कि समुदाय के ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे और अनपढ़ हैं और गांव के खेतों में काम करते हैं।
अन्य आरोप
बारात या शव यात्रा निकालने को लेकर भी समुदाय को चेतावनी
ज्ञापन में लगाए गए आरोपों के अनुसार, उच्च जाति के लोगों ने नाइक समुदाय को गांव की सड़कों पर कोई भी बारात या शव यात्रा निकालने को लेकर भी चेतावनी दी है।
इसके अलावा फरमान जारी कह ये भी कहा गया है कि समुदाय के बच्चे स्थानयी सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ सकते। समुदाय से संबंधित रखने वाले शिक्षकों को भी खुद से बाहर ट्रांसफर कराने को कह दिया गया है।
दूसरा पक्ष
सरपंच और समिति के सदस्यों ने स्वीकारे कुछ आरोप, बाकी किए खारिज
मामले में फरमान जारी करने वाले गांव के सरपंच और समिति के सदस्यों ने ये तो माना है कि ग्रामीणों को दलित समुदाय के लोगों से बात नहीं करने को कहा गया है, लेकिन बाकी आरोपों को उन्होंने खारिज किया है।
गांव की विकास समिति के सचिव हरमोहन मलिक ने कहा कि दलितों के गलत कामों की वजह से ग्रामीणों को उनसे बात न करने को कहा गया है, लेकिन बाकी आरोप निराधार हैं।
बयान
सरपंच बोले- स्थिति सामान्य हो रही है
सरपंच प्राणबंधु ने कहा, 'ये दो समुदायों के बीच का मामला है और अंत में सुलझ जाएगा। बहुसंख्यक समाज को दिक्कत है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उन्हें झूठे मामलों में फंसाते हैं और पुलिस SC/ST कानून के तहत मामला दर्ज करती है। इस घटना की वजह से एक मामूली विवाद हुआ था। समिति के फैसले के तहत कुछ दिन के लिए बहुसंख्यक समुदाय ने दलितों से बात करना बंद कर दिया था। अब स्थिति सामान्य हो रही है।"
शांति वार्ता
शांति वार्ता में अब तक नहीं बनी बात
ग्रामीणों के अनुसार, ज्ञापन सौंपे जाने के बाद से दो शांति वार्ता हो चुकी हैं, लेकिन विवाद अभी सुलझा नहीं है। पुलिस का कहना है कि दलित समझौता चाहते थे और मामले को खींचना नहीं चाहते थे, इसलिए मामले में FIR नहीं की गई है।
पुलिस ने कहा कि उनसे दोनों समुदायों के नेताओं की एक और बैठक बुलाई है और अगर इसमें कोई समाधान नहीं निकलता तो FIR दर्ज की जाएगी।