कोटा: नाबालिग से गैंगरेप के 13 दोषियों को 20-20 साल की सजा
क्या है खबर?
राजस्थान के कोटा जिले की एक अदालत ने 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के 13 दोषियों को 20-20 साल और दो अन्य को चार-चार साल की सजा सुनाई है।
नाबालिग के साथ इसी साल की शुरुआत में गैंगरेप किया गया था। पॉक्सो एक्ट के तहत बनाई गई विशेष अदालत में मामले की सुनवाई हुई थी, जहां केवल नौ महीने में फैसला आ गया।
अदालत ने अपराध में शामिल एक महिला को भी चार साल की सजा सुनाई है।
फैसला
12 आरोपियों को किया गया बरी
अतिरिक्त सत्र न्यायधीश अशोक चौधरी की अदालत ने महिला को चार साल की कठोर सजा सुनाई है। महिला का दोष यह था कि उसने नाबालिग को घर से ले जाकर झालावाड़ में बेच दिया था, जहां नौ दिन तक उसके साथ हैवानियत की गई।
अदालत में मामले में शामिल 12 अन्य आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया है, जबकि चार नाबालिग आरोपियों के मामले की सुनवाई स्थानीय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चल रही है।
फैसला
दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया
अदालत ने 20-20 साल की सजा पाने वाले दोषियों पर 10,000-10,000 रुपये और चार साल की सजा पाने वालों पर 7,000-7,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। मामले में नामजद किए गए आरोपियों में से 25 झालावाड़ के रहने वाले हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फैसला सुनने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य रामनाथ पारधी भी अदालत में मौजूद थे। दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत परिसर में लाया गया था।
जानकारी
6 मार्च को दर्ज हुआ था मामला
इसी साल 6 मार्च को कोटा के सुकेत में नाबालिग पीड़िता ने पुलिस को अपने साथ हुई दरिंदगी की शिकायत की थी।
पीड़िता ने शिकायत में कहा था कि 25 फरवरी को उसकी जानकार एक महिला बैग खरीदने का झांसा देकर घर से झालावाड़ ले गई थी। महिला ने यहां पीड़िता को कई लोगों को बेचा, जिन्होंने उसके साथ हैवानियत की।
यह मामला खूब चर्चा में रहा था और राजस्थान सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
न्यूजबाइट्स प्लस
क्या है पॉक्सो कानून?
बच्चों के खिलाफ यौन अपराध रोकने के लिए साल 2012 में बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (POCSO) कानून बनाया गया था।
बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों और छेड़छाड़ के मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
इसके तहत सभी अपराधों की सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा बच्चे के माता-पिता की मौजूदगी में होती है।
इस कानून में अलग-अलग प्रावधानों के तहत अलग-अलग सजाएं तय की गई हैं।