
'यारियां 2' रिव्यू: दिव्या-मीजान के कंधों पर फिल्म का दारोमदार, गाने छोड़ जाते हैं छाप
क्या है खबर?
दिव्या खोसला कुमार, पर्ल वी पुरी और मीजान जाफरी की फिल्म 'यारियां 2' ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। यह 2014 में आई फिल्म 'यारियां' का सीक्वल है, लेकिन इसका उस फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है।
राधिका राव ने इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म का निर्देशन किया है और भूषण कुमार इसके निर्माता हैं।
आइए जानते हैं कि 3 भाई-बहन की दोस्ती की यह कहानी कैसी है और इस फिल्म में कलाकारों ने कैसा काम किया है।
कहानी
भाई-बहन के रिश्ते की प्यारी सी कहानी है 'यारियां 2'
'यारियां 2' लाडली छिब्बड़ (दिव्या), शिखर रंधावा (मीजान) और बजरंग दास खत्री (पर्ल) की कहानी है, जो भाई-बहन होने से ज्यादा एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हैं।
तीनों ने अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अपने ही सपनों के साथ समझौता कर लिया है।
लाडली, अभय सिंह कटयाल (यशदास गुप्ता) से शादी करने के बाद शादीशुदा जिंदगी में उतार-चढ़ाव का सामना कर रही है तो उसके दोनों भाई भी अपनी जिंदगी की परेशानियों में उलझे हुए हैं।
कहानी
परेशानी का हल निकालने साथ आते हैं तीनों
एक ओर साधारण सी नौकरी कर रहे बजरंग को प्यार में धोखा मिलता है तो बाइक रेसिंग का जुनून रखने वाले शिखर पर प्रतिबंध लग जाता है।
ये तीनों परेशानियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन उनकी दोस्ती पहले की तरह बरकरार है। ऐसे में वे साथ आकर एक-दूसरे की परेशानी का हल निकालने में लग जाते हैं।
अब वे इसमें कैसे सफल होंगे या उनके रिश्ते में क्या उतार-चढ़ाव आएंगे, ये पता करने के लिए
आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय
दिव्या और मीजान के अभिनय ने संभाली फिल्म की कमान
फिल्म में दिव्या ने एक अल्हड़ और मासूम सी पंजाबी लड़की लाडली का किरदार शानदार तरीके से निभाया है। जहां पहले भाग में वह अपने किरदार को स्थापित करने की कोशिश करती हैं तो दूसरे भाग में उनकी अदाकारी कमाल है।
मीजान भी शिखर के किरादर में खूब जचते हैं और अपने भावनात्मक पहलू को पर्दे पर बखूबी दर्शाते हैं।
लाडली के पति के किरदार में यश और भाई बजरंग बने पर्ल भी अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं।
प्रदर्शन
सहायक कलाकारों का ऐसा रहा प्रदर्शन
'यारियां 2' से मलयालम अभिनेत्री अनस्वरा राजन ने बॉलीवुड में कदम रखा और मीजान की गर्लफ्रेंड का किरदार निभाया और उसके साथ पूरा न्याय किया।
भाग्यश्री बोरसे थोड़ी देर के लिए ही राजलक्ष्मी बनकर पर्दे पर नजर आती हैं, लेकिन अपनी छाप छोड़ने में सफल रहती हैं।
इनके अलावा प्रिया प्रकाश वारियर और वरीना हुसैन दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचने में असफल रहती हैं।
ऐसे में फिल्म में सहायक कलाकारों का प्रदर्शन कुल मिलाकर ठीक-ठाक रहा है।
कमी
पहले भाग में सुस्त तो दूसरे भाग में फिल्म ने पकड़ी रफ्तार
फिल्म का पहला भाग जहां किरदारों को स्थापित करने में ही निकल जाता है, वहीं दूसरा भाग तेजी से रफ्तार पकड़ता है, जिसमें भाई-बहन का यह रिश्ता कभी आपको हंसाएगा तो कई मौके पर रुला भी देगा।
दूसरे भाग में कहानी लाडली और अभय (यश) की शादी के टूटने की कगार पर पहुंच जाती है, जिसे शानदार ढंग से दिखाया गया है।
यहां यश के कम डायलॉग होने के बाद भी उनके रिश्ते के बीच की खटास साफ दिखती है।
निर्देशन
गाने बने फिल्म की जान
'यारियां 2' के गाने इसकी जान बने हैं। पार्टी नंबर 'सूट पटियाला' हो या फिर अरिजीत सिंह की आवाज से सजा 'ऊंची ऊंची दीवारें' और सचेत टंडन का 'सिमरूं तेरा नाम', हर गाना आपका दिल जीत लेगा।
यह फिल्म 'बैंगलोर डेज' का रीमेक है, लेकिन 9 साल पहले की इस कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है। ऐसे में निर्देशक राधिका राव और विनय सप्रू मात खा गए हैं।
फिल्म के पहले भाग में स्क्रीनप्ले भी भटका हुआ लगता है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?
दोस्ती और रिश्तों के ताने बाने को लेकर बुनी गई इस फिल्म की कुछ कमियों को छोड़ दिया जाए तो यह परिवार के साथ देखने लायक है। फिल्म आपको दोस्ती के मायने भी बताएगी।
क्यों न देखें?
अगर आपको कॉमेडी और ड्रामा पसंद नहीं है तो यह आपके लिए सही नहीं होगी। फिल्म की कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है। ऐसे में आप इसके OTT प्लेटफॉर्म पर आने का इंतजार कर सकते हैं।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5