विवेक अग्निहोत्री का 'ब्लडी डैडी' की मुफ्त रिलीज पर सवाल, कहा- बर्बादी का जश्न मना रहे
फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री अकसर अपने बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं। अब अग्निहोत्री ने शाहिद कपूर की फिल्म 'ब्लडी डैडी' को लेकर सवाल उठाया है, जो आज ही जियो सिनेमा पर रिलीज हुई है। फिल्म OTT प्लेटफॉर्म पर मुफ्त में देखने के लिए उपलब्ध है और ऐसे में अग्निहोत्री ने इसे एक बेकार बिजनेस मॉडल बताया है। उनका कहना है कि ऐसा करके बॉलीवुड अपनी ही बर्बादी का जश्न मना रहा है।
क्या कहना है अग्निहोत्री का?
अग्निहोत्री ने 'ब्लडी डैडी 'की मुफ्त में OTT रिलीज के बारे में एक अखबार में छपे विज्ञापन की तस्वीर को ट्विटर पर साझा किया है। उन्होंने लिखा, 'आखिर कोई 200 करोड़ रुपये की फिल्म मुफ्त में क्यों दिखाएगा? ये किस तरह का पागलपन वाला बिजनेस मॉडल है? दुख की बात है कि बॉलीवुड अपनी बर्बादी का जश्न मना रहा है।' फिल्म निर्माता के इस ट्वीट के बाद से ही लोग भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
यूजर ने बताया जियो का बिजनेस मॉडल
एक यूजर ने लिखा, 'यह जियो का बिजनेस मॉडल है। दर्शकों को बांधे रखने के लिए वे कुछ महीनों तक सब मुफ्त में दिखाएंगे और बाद में न्यूनतम शुल्क लेंगे। जल्द ही अन्य प्लेटफॉर्म के पास दर्शकों से कम शुल्क लेने और विज्ञापनों से राजस्व उत्पन्न करने के अलावा विकल्प नहीं होगा। OTT, जिसे विज्ञापन मुफ्त माना जाता है, वह टीवी में बदल जाएगा।' इस पर अग्निहोत्री ने लिखा, 'तो एक तरह से यह 200 करोड़ उनकी विज्ञापन लागत है?'
यहां देखें अग्निहोत्री का ट्वीट
फिल्म की रिलीज पर निर्देशक का बयान
'ब्लडी डैडी' के निर्देशक अली अब्बास जफर ने इसे एक बड़े बजट की OTT फिल्म बताया है। उन्होंने PTI संग बातचीत में कहा, "ब्लडी डैडी को OTT फिल्म की तरह दिखने के लिए बजट और पैमाने के लिहाज से कोई समझौता नहीं किया गया है। इसकी कहानी ने सभी हितधारकों को यह तय करने के लिए मजबूर किया कि इसे OTT पर लाना सही है। फिल्म को इस तरह से बनाया गया है कि कहानी को आगे बढ़ाया जा सके।"
क्या है 'ब्लडी डैडी की कहानी?
'ब्लडी डैडी' की बात करें तो इसमें शाहिद के अलावा रोनित रॉय, संजय कपूर, डायना पेंटी और राजीव खंडेलवाल प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म 2011 की फ्रेंच फिल्म 'स्लीपलेस नाइट' की रीमेक है। इसकी कहानी को भारतीय परिवेश में ढाला गया है, लेकिन मूल कहानी फ्रेंच फिल्म की है। यह कहानी नारकोटिक्स विभाग में कार्यरत सुमेर की है, जो ड्रग्स को अपने कब्जे में लेकर मुसीबत में पड़ जाता है और उसके बेटे को बंदी बना लिया जाता है।