बॉलीवुड के दिग्गज लेखक और फिल्मकार सागर सरहदी का 88 साल की उम्र में निधन
हिंदी सिनेमा के मशहूर लेखक, निर्माता और निर्देशक सागर सरहदी का उम्र संबंधी समस्याओं के चलते निधन हो गया है। वह 88 साल के थे। उन्होंने कल रात मुंबई में अपने घर पर आखिरी सांस ली। सरहदी 'चांदनी', 'बाजार' और 'सिलसिला' जैसी कई फिल्मों के लिए जाने जाते थे। सरहदी की गिनती बॉलीवुड के बेहतरीन कहानीकारों में होती है। आइए जानते हैं बॉलीवुड में सरहदी को किस फिल्म से पहचान मिली और उनकी कौन सी फिल्में यादगार बन गईं।
लोकप्रिय निर्देशक रमेश तलवार ने दी जानकारी
सागर सरहदी के भतीजे और निर्देशक रमेश तलवार ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, "चाचा की तबीयत ठीक नहीं थी। आखिरी दिनों में उन्होंने खाना-पीना तक छोड़ दिया था। कल रात को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका अंतिम संस्कार आज सियोन शवदाह गृह में किया जाएगा।" अभिनेता जैकी श्रॉफ ने सरहदी की तस्वीर के साथ उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'आपको बहुत मिस करेंगे। RIP।' निर्देशक हंसल मेहता ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा, 'RIP सरहदी साहब।'
यहां देखिए जैकी का इंस्टा पोस्ट
यहां देखिए हंसल का पोस्ट
हार्ट की समस्या के चलते सरहदी दो बार अस्पताल में हुए थे भर्ती
सरहदी को दो साल पहले सियोन में हार्ट प्रॉब्लम के चलते कॉर्डिएक केयर हॉस्पिटल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। हॉस्पिटल की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया था, 'सरहदी दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।' सरहदी को इससे पहले 2018 में भी हार्ट अटैक के चलते इसी अस्पताल में भर्ती किया गया था।
यश चोपड़ा की फिल्म 'कभी-कभी 'से मिली थी सरहदी को पहचान
सरहदी ने उर्दू लघु कथाओं से अपने करियर की शुरुआत की और फिर उर्दू नाट्य लेखक बन गए। फिल्मकार यश चोपड़ा की 1976 में आई फिल्म 'कभी कभी' से बतौर निर्देशक उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। इसके अलावा उन्होंने फिल्म 'बाजार' का निर्देशन किया, जिसे फिल्म समीक्षकों ने काफी पसंद किया था। सरहदी ने 'नूरी', 'सिलसिला' और 'चांदनी' जैसी फिल्मों की कहानी भी लिखी। उन्होंने शाहरुख खान की 'दीवाना' और फिल्म 'कहो ना प्यार है' के डायलॉग भी लिखे थे।
थियेटर जगत में सरहदी ने फारूख शेख और शबाना आजमी को दिया था मौका
सागर का असली नाम गंगा सागर तलवार था। उनका जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में 1933 में हुआ था। सीमांत प्रांत से संबंध होने के चलते उन्होंने अपने नाम के आगे सरहदी जोड़ लिया था। 12 साल की उम्र में वह दिल्ली आकर रहने लगे थे। जब सरहदी का रुझान थियेटर की ओर हुआ तो वह इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन (IPTA) से जुड़ गए। सरहदी ने ही थियेटर जगत में फारूख शेख और शबाना आजमी जैसे कलाकारों को मौका दिया था।