जन्मदिन विशेष: ये बातें बनाती हैं संजय लीला भंसाली की फिल्मों को सबसे अलग
संजय लीला भंसाली वो फिल्मकार हैं जो पर्दे पर एक अलग ही दुनिया बना देते हैं। इस दुनिया में अलग ही रंग और भव्यता होती है। 24 फरवरी को भंसाली 60 वर्ष के हो गए। कुछ दिन पहले उनकी चर्चित वेब सीरीज 'हीरामंडी' का टीजर जारी हुआ है। इसी के साथ ही वह अपनी फिल्मों वाली भव्यता को OTT पर लेकर आ रहे हैं। नजर डालते हैं उन खास बातों पर, जो भंसाली की फिल्मों को सबसे अलग बनाती हैं।
सेट
भंसाली अपनी फिल्मों के बड़े और सुंदर सेट के लिए जाने जाते हैं। सेट ही भंसाली की फिल्मों की अलग पहचान हैं। फिल्मों की शूटिंग शुरू करने से पहले वह सेट पर खूब प्रयोग करते हैं। इनके अलग-अलग मॉडल तैयार होते हैं और फिर किसी एक को चुना जाता है। 'गोलियों की रासलीला-रामलीला' की बालकनी हो, 'देवदास' की हवेली या 'बाजीराव-मस्तानी' का आइनामहल, भंसाली के फिल्मों के सेट का बॉलीवुड में अलग स्थान है।
रंग
भंसाली कलर थ्योरी के साथ बेहतरीन काम करते हैं। भावना दर्शाने के लिए रंगों के इस्तेमाल को कलर थ्योरी कहते हैं। अगर आप भंसाली की फिल्मों पर गौर करें तो वह लाल रंग का मुख्य रूप से इस्तेमाल करते हैं। फिल्म के बाकी रंग इसके ईर्द-गिर्द चुने जाते हैं। 'गंगूबाई काठियावाड़ी' गंगूबाई की लाल बिंदी, 'गुजारिश' में सोफिया का लाल स्कार्फ, 'पद्मावत' में पद्मावती का लहंगा, भंसाली के पर्दे पर लाल रंग के कई रूप देखने को मिलते हैं।
संवाद
भंसाली की फिल्मों में जितना भव्य सेट होता है, उतने ही दमदार उनके संवाद होते हैं। उनकी फिल्मों ने बॉलीवुड को कई यादगार संवाद दिए हैं। इन संवादों से ही वह दमदार दृश्य बनाते हैं। 'देवदास' का 'पारो ने कहा शराब छोड़ दो', 'बाजीराव-मस्तानी' का 'चीते की चाल, बाज की नजर', 'पद्मावत' का 'राजपूती कंगन' जैसे संवाद ने दर्शकों पर अलग छाप छोड़ी और वे भंसाली की इन फिल्मों की पहचान बन गए।
क्लाइमैक्स
भंसाली की फिल्मों का क्लाइमैक्स भव्य और भाव-विभोर करने वाला होता है। भंसाली सिनेमेटोग्राफी, संगीत और खास रंगों से फिल्मों के क्लाइमैक्स को अलग स्तर पर ले जाते हैं। 'देवदास' में पारो के लहराते हुए आंचल के साथ हवेली पार करने का दृश्य प्रशंसक कैसे भूल सकते हैं? 'पद्मावत' के अंत में क्षत्राणियों का जौहर रोंगटे खड़े करने वाला है। 'गंगूबाई काठियावाड़ी' में भीड़ और कैमरा ऐंगल से क्लाइमैक्स को भव्य बनाने का काम किया गया।
वेश्वाओं की अलग दुनिया
भंसाली की फिल्मों में वेश्वाओं का अलग आकर्षण देखने को मिलता है। ऐसा लगता है यह भंसाली का पसंदीदा किरदार है। पिछले साल की उनकी फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' सेक्स वर्कर गंगूबाई पर आधारित थी। 'देवदास' में उन्होंने चंद्रमुखी के किरदार से प्यार का एक अलग पक्ष पर्दे पर उतारा। 'बाजीराव-मस्तानी' में मस्तानी के साथ बाजीराव के घरवाले वेश्या की तरह व्यवहार करते हैं। उनकी आने वाली वेब सीरीज 'हीरामंडी' भी वेश्याओं की दुनिया पर आधारित है।
न्यूजबाइट्स प्लस
भंसाली ने निर्देशन की शुरुआत 1996 में सलमान खान की फिल्म 'खामोशी' से की थी। इसके बाद उन्होंने सलमान की 'हम दिल दे चुके सनम' बनाई। 'हीरामंडी' के बाद वह आलिया भट्ट और रणवीर सिंह के साथ अगली फिल्म 'बैजू बावरा' पर काम शुरू करेंगे।