विवेक ओबेरॉय के पिता बोले- मेरे बेटे की जगह कोई और होता तो शराबी बन जाता
अभिनेता विवेक ओबेरॉय कई छोटी-बड़ी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। कई फिल्मों में उनके काम को सराहा गया। हालांकि, वह बॉलीवुड में एक स्टार के रूप में अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे। जाने-माने अभिनेता सुरेश ओबेरॉय के बेटे होने के बावजूद बॉलीवुड में ब्रेक मिलना विवेक के लिए आसान नहीं रहा। उनके पिता ने उन्हें लॉन्च करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। हाल ही में सुरेश ने इस पर खुलकर बात की।
निर्माताओं के दफ्तर के बाहर खड़े रहते थे सुरेश
बॉलीवुड हंगामा से सुरेश ने कहा, "मैंने उसे बचपन से ही तैयार किया। उससे स्टेज शो करवाए। उसे FTII के अपने सीनियर के साथ (एक्टिंग) क्लास और कोर्स करवाया। मैं उसकी तस्वीरें हाथ में लेकर निर्माताओं के दफ्तरों के बाहर बैठा रहता था। राम गोपाल वर्मा का ऑफिस और न जाने मेंने कितने दफ्तरों के चक्कर काटे। उसे बॉलीवुड में ब्रेक दिलाना मेरे लिए दूसरा संघर्ष था। फिर आखिरकार रामू (राम गोपाल वर्मा) ने विवेक को उसकी पहली फिल्म दी।"
बुरे दौर में कैसे संभले विवेक?
विवेक अपने करियर के बहुत बुरे दौर से गुजरे। इस पर सुरेश बोले, "यह उसकी ताकत है कि वह इससे उबर पाया। अगर उसकी जगह कोई और होता तो वो शराबी या शायद नशे का आदी हो गया होता। लोग सचमुच उसके खिलाफ थे। मीडिया से लेकर फिल्म इंडस्ट्री के लोग, यहां तक कि अभिनेताओं ने भी उसका समर्थन नहीं किया। दरअसल, कभी-कभार जब लोग बहुत जल्दी सफल हो जाते हैं तो दूसरे इसे स्वीकार या हमज नहीं कर पाते।"
सुरेश ने अपने दौर के सितारों पर भी साधा निशाना
सुरेश ने अपने करियर पर भी बात की। उन्होंने बताया, "जब मैं अच्छा काम कर रहा था तो लोग मेरी चुगली करते थे। अगर कोई अच्छा कलाकार है तो वे ये कहकर उससे पल्ला झाड़ लेंगे कि उन्हें उसके साथ काम नहीं करना, क्योंकि वो पेशेवर नहीं है या वह अच्छा इंसान नहीं है। कुछ लोगों को आपका अच्छा काम बर्दाश्त नहीं होता। बहुत से अभिनेता मुझसे खार खाते थे। ज्यादातर बड़े सितारे जलते हैं, क्योंकि वे कायर होते हैं।"
पिछली बार 'एनिमल' में नजर आए थे सुरेश
सुरेश ने 1977 में फिल्म 'जीवन मुक्त' से बॉलीवुड में अपने सफर की शुरुआत की थी। वह 'काला पत्थर', 'लावारिस', 'श्रद्धांजलि', 'नमक हलाल' समेत लगभग 200 फिल्मों में काम कर चुके हैं। 1987 में उन्होंने फिल्म 'मिर्च मसाला' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। पिछली बार वह रणबीर कपूर अभिनीत फिल्म 'एनिमल' में नजर आए थे। इस फिल्म में उन्होंने रणबीर के किरदार (विजय) के दादाजी का किरदार निभाया था।