शर्मिला ने 'आराधना' से की 'RRR' की तुलना, बोलीं- 50 हफ्ते तक सिनेमाघरों में चली फिल्म
क्या है खबर?
शर्मिला टैगोर अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए जानी जाती हैं। न तो वह रील लाइफ में बोल्ड किरदार करने से पीछे हटीं और ना ही असल जिंदगी में उन्होंने किसी मुद्दे पर अपनी राय देने से परहेज किया।
शर्मिला ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। 'आराधना' उनकी सबसे सफल फिल्मों में शुमार हैं। हाल ही में उन्होंने इसकी लोकप्रियता की तुलना ऑस्कर जीत चुकी 'RRR' से की।
तारीफ
हिंदी के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बावजूद फिल्म सफल हुई- शर्मिला
एक हालिया इवेंट में शर्मिला ने कहा, "1969 में जब 'आराधना' रिलीज हुई थी, उस समय चेन्नई में हिंदी विरोधी आंदोलन हो रहे थे। फिल्म पर्दे पर आई तो चेन्नई में हिंदी के खिलाफ भारी विरोध हुआ। उस समय एक तरह से हिंदी को लेकर बायकॉट अभियान चल रहा था।"
उन्होंने कहा, "आराधना 50 हफ्ते से पहले सिनेमाघरों से नहीं उतरी। यह हमारे समय की 'RRR' थी। इसकी कामयाबी ने साबित कर दिया कि भावनाएं भाषा से परे हैं।"
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
शक्ति सामंथा के निर्देशन में बनी 'आराधना' में शर्मिला के साथ राजेश खन्ना थे। शर्मिला ने इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता था। फिल्म को बंगाली में डब किया गया, वहीं तमिल और तेलुगु भाषा में इसके रीमेक बनाए गए।
विवाद
बिकनी सीन पर हुए बवाल पर कही ये बात
शर्मिला ने फिल्म 'एन इवनिंग इन पेरिस' में बिकनी सीन दिया था। इसमें उनके स्विमिंग कॉस्ट्यूम को लेकर बवाल मच गया था। इस पर उन्होंने कहा, "इसमें मेरा बिकिनी सीन हर किसी के लिए हैरतअंगेज था। इंडस्ट्री समेत जनता तक काफी सकते में थी। मुझे याद है उस समय संसद तक में यह बड़ा मुद्दा बन गया था।"
उन्होंने कहा, "हालांकि आज हम जिस तरह की फिल्में देखते हैं, उनकी तुलना में यह सीन अब बहुत सामान्य लगता है।"
दो टूक
"13 की उम्र में सत्यजीत रे से अनजान थी"
महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म 'अपुर संसार' से शर्मिला को हिंदी सिनेमा के दर्शन कराए थे।
उन्होंने कहा, "13 साल की उम्र में सत्यजीत रे ने मुझे सिनेमा से परिचित कराया, लेकिन उस वक्त मुझे नहीं पता था कि वह कितने लोकप्रिय हैं। मैं उस वक्त बहुत खुश नहीं थी क्योंकि यह अचानक हुआ।"
उन्होंने कहा, "सच्चाई बस इतनी थी कि मैंने यह फिल्म की। इसे दुनियाभर में सराहा गया और इसने मेरे लिए कई दरवाजे खोल दिए।"
जवाब
हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर कही ये बात
शर्मिला ने 1968 में मंसूर अली खान पटौदी से शादी की। हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर उन्होंने कहा, "बंगाल में मेरे माता-पिता को धमकियां मिल रही थीं। ऐसी ही चीजें मुंबई में हो रही थीं। यहां तक कि एक सुबह दिल्ली से कुछ अधिकारी यह कहकर मुझसे मिलने आए कि मुझे सुरक्षा की जरूरत है।"
अभिनेत्री बोलीं, "मैंने कहा कि मैं महफूज हूं। मुझे मुंबई में कोई खतरा महसूस नहीं होता। यह सच था। शादी शांति से संपन्न हुई। सब ठीक रहा।"
जानकारी
शर्मिला-मंसूर की पहली मुलाकात
शर्मिला की मंसूर से मुलाकात 1965 में हुई थी। दोनों एक कॉमन फ्रेंड के जरिए मिले थे। पहली ही मुलाकात में शर्मिला को मंसूर पसंद आ गए थे। उन्होंने शर्मिला को पेरिस में प्रपोज किया और फिर दोनों हमेशा के लिए एक-दूजे के हो गए।