महात्मा गांधी पर बनी फिल्म 'द गांधी मर्डर' भारत में नहीं होगी रिलीज़, ये है वजह
क्या है खबर?
फिल्मी दुनिया और विवादों का बहुत पुराना नाता है। बात हॉलीवुड की हो या बॉलीवुड की, दोनों ही जगहों पर किसी न किसी फिल्म को लेकर विवाद होता ही रहता है।
हाल ही में जानकारी मिली है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी को उनके ऊपर आधारित फिल्म 'द गांधी मर्डर' पूरी दुनिया के साथ भारत में भी रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन अब यह फिल्म भारत में रिलीज़ नहीं की जाएगी।
जानकारी
कुछ लोगों ने दी है फिल्म के निर्माताओं को धमकी
भारत में इस फिल्म को रिलीज़ न किए जानें के पीछे कोई और वजह नहीं, बल्कि धमकी है। बताया जा रहा है कि कुछ अनजान लोगों ने फिल्म के निर्माताओं को धमकी दी है।
बयान
निर्माता-निर्देशक को फ़ोन पर मिली धमकी
फिल्म की निर्माता लक्ष्मी आर अय्यर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, "हमने 'द गांधी मर्डर' को भारत में रिलीज़ न करने का फ़ैसला लिया है। भारत एक बड़ा बाज़ार है और यहाँ हर तरह के लोग रहते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "दुर्भाग्यवश कुछ अराजक तत्वों ने निर्माता-निर्देशक को शारीरिक रूप से नुक़सान पहुँचाने की धमकी दी है। ये अनजान लोग हैं और अलग-अलग नंबरों से फोन करके धमकी देते हैं।"
कहानी
पिछले साल केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने दी थी मंज़ूरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करीम त्रैदिया और UAE स्थित निर्देशक पंकज सहगल ने इस फिल्म का निर्देशन किया है।
फिल्म 'द गांधी मर्डर' में 30 जनवरी, 1948 को हुई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के पीछे की वास्तविक सच्चाई को दिखाया गया है। हालाँकि ये सिर्फ़ निर्माताओं की सोच ही है।
इस फिल्म को पिछले साल केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने मंज़ूरी भी दे दी थी। ये किसी भी रूप में पक्षपातपूर्ण नहीं है।
जानकारी
फिल्म में दिखेंगे दिवंगत अभिनेता ओम पूरी
फिल्म 'द गांधी मर्डर' में स्टीफ़न लैंग, ल्यूक पास्कलिनो, जीसस सॉन्स, ओम पूरी और विनी जोंस मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसका निर्माण राइज़िंग स्टार एंटरटेनमेंट के बैनर तले किया गया है।
गांधी जी की हत्या
नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी बापू की हत्या
महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 की शाम को दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
गोडसे ने गांधी जी को पैर छूने के बहाने करीब से तीन गोली मारी थी। इस मुक़दमे में गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साज़िश में आरोपी बनाया गया था।
इनमें से एक वीर सावरकर भी थे, जिनके ख़िलाफ़ कोई सबूत न मिलने पर बाद में बरी कर दिया गया था।