वायलिन वादक एल सुब्रमण्यम कौन हैं, जिन्हें मिलेगा पद्म विभूषण?
क्या है खबर?
देश में भारत सरकार हर साल अलग-अलग क्षेत्र के श्रेष्ठ लोगों को उनके काम और देश के लिए दिए योगदान के लिए सम्मानित करती है।
इन कलाकारों को सरकार अलग अलग श्रेणी में दिए जाने वाले पद्मश्री, पद्म विभूषण और पद्म भूषण जैसे पुरस्कार देती है।
इस साल जिन्हें पद्म सम्मानों से नवाजा जाने वाला है, उनमें से एक वायलिन वादक एल सुब्रमण्यम भी हैं, जिन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा।
आइए सुब्रमण्यम के बारे में जानते हैं।
शुरुआत
6 साल की उम्र में किया पहला संगीत कार्यक्रम
सुब्रमण्यम का पूरा नाम लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम है। उनका जन्म 23 जुलाई, 1947 को चेन्नई में एक प्रतिष्ठित संगीत परिवार में हुआ था।
सुब्रमण्यम बचपन से ही संगीत के शौकीन रहे। वह शास्त्रीय कर्नाटक संगीत परंपरा और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित हैं। उनके पिता वी लक्ष्मीनारायण अय्यर और सीतालक्ष्मी दोनों कुशल संगीतकार थे।
6 साल की उम्र में ही सुब्रमण्यम ने अपने पहले सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम में मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर दिल जीत लिया था।
प्रशिक्षण
पिता की छत्रछाया में सीखा वायलिन
सुब्रमण्यम ने अपने पिता के मार्गदर्शन में वायलिन का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। सुब्रमण्यम के दोनों भाई भी प्रशंसित संगीतकार हैं। तीनों ने साथ मिलकर भी काम किया है।
चेन्न्ई के प्रतिष्ठित संगीत परिवार में जन्में सुब्रमण्यम का ये संगीत के प्रति समर्पण और जुनून था, जिसके चलते वह चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वायलिन वादक बने।
उन्होंने कर्नाटक संगीत के क्षेत्र में ऐसा नाम कमाया, जो आज दुनियाभर में चमकता है।
लोकप्रियता
संगीत जगत के दिग्गजाें के साथ बनी सुब्रमण्यम की जोड़ी
प्रतिभाशाली वायलिन वादक सुब्रमण्यम ने कर्नाटक संगीत के दिग्गजों जैसे चेम्बई वैद्यनाथ भगवतार के साथ काम किया और मृदंग वादक पालघाट मणि अय्यर के साथ भी उनकी जोड़ी ने जमकर वाहवाही लूटी।
उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशियाई कलाकारों के साथ भी काम कर संगीत की दुनिया में अपनी पकड़ मजबूत की।
सुब्रमण्यम सिर्फ कनार्टक संगीत तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के साथ भी प्रयोग किया और दोनों शैलियों का एक अनूठा संगम तैयार किया।
सम्मान
मिले ये बड़े सम्मान
साल 1973 के बाद से सुब्रमण्यम अब तक 200 से ज्यादा गानों की रिकॉर्डिंग की हैं। उन्होंने ऑर्केस्ट्रा के लिए तमाम रचनाएं कीं, बैले संगीत तैयार किया और हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी संगीत दिया।
यही नहीं, सुब्रमण्यम ने संगीत पर यूफोनी और कर्नाटक पीसिज जैसी किताबें भी लिखीं।
1981 में उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (1988) और पद्म भूषण (2001) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है।
प्रेरणा
जुनून का नाम बने सुब्रमण्यम
सुब्रमण्यम की प्रतिभा को दुनियाभर के लोगों ने सराहा। उन्होंने सिर्फ संगीत के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना अहम योगदान दिया।
सुब्रमण्यम ने कई युवा संगीतकारों को प्रशिक्षित किया और उन्हें संगीत की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
सुब्रमण्यम ने कार्नाटक वायलिन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उनकी संगीत की यात्रा एक प्रेरणा है।
उन्होंने यह साबित किया कि जुनून और प्रतिभा के दम पर कुछ भी मुमकिन है।
जानकारी
सुब्रमण्यम की पत्नी और बच्चे
बता दें कि सुब्रमण्यम की पत्नी, मशहूर गायिका कविता कृष्णमूर्ति हैं और उनके साथ भी उन्होंने कई संगीत कार्यक्रम दिए हैं। उनके 4 बच्चों में से 3 बच्चे गिंगर शंकर, बिंदु सुब्रमण्यम और अंबी सुब्रमण्यम भी संगीत के क्षेत्र में सक्रिय हैं।