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जयंती विशेष: 'शोले' देखने के बाद क्यों रोने लगे थे 'सांभा' मैक मोहन?
जानिए, 'सांभा' की रोचक बातें (तस्वीर: इंस्टाग्राम/@vinatimak)

जयंती विशेष: 'शोले' देखने के बाद क्यों रोने लगे थे 'सांभा' मैक मोहन?

Apr 24, 2023
07:30 am

क्या है खबर?

आज एक ऐसे अभिनेता की बात करेंगे, जिन्होंने महज कुछ सेकेंड की अपनी प्रस्तुति से हमेशा के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना ली। हम बात कर रहे हैं मैक मोहन की, जिन्हें आप 'सांभा' के रूप में जानते हैं। 1975 की फिल्म 'शोले' में एक डायलॉग से उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी की आज भी उनके किरदार की चर्चा होती है। 24 अप्रैल को अभिनेता की 85वीं जयंती है। आइए, जानते हैं उनसे जुड़े खास किस्से।

किस्सा

'शोले' देखने के बाद मायूस हो गए थे 'सांभा'

एक इंटरव्यू में मैक मोहन ने बताया था कि जब उन्होंने 'शोले' की रिलीज प्रिंट देखी तो वह इतने मायूस हुए कि उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उन्होंने बताया था कि वह शूटिंग के लिए बेंगलुरू गए थे, वहां कई दिन तक फिल्म की शूटिंग की थी। इस वजह से वह फिल्म में अपने आप को बड़ी भूमिका में देखने की उम्मीद कर रहे थे। जब उन्होंने फिल्म देखी तो फिल्म में उन्हें खुद को ढूंढना पड़ा।

प्रेरणा 

रमेश सिप्पी ने कही थी यह बात

वह मायूस होकर रिमेश सिप्पी के पास गए और उनसे कहा, "रमेश जी, यह रखने की क्या जरूरत थी, इसको भी आप काट देते।" इसपर रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा था, "देखो मैं जितना काट सकता था, मैंने काट दिया। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता। मैं तुमको एक बात बताता हूं, अगर यह फिल्म चली, तो बच्चा-बच्चा तुम्हें सांभा नाम से पुकारेगा।" उनकी बात सच साबित हुई। महज कुछ सेकेंड की भूमिका ने अभिनेता को यादगार बना दिया।

कड़क राम 

'कड़क राम' कहलाते थे मैक 

मैक मोहन को उनके साथी कड़क राम कहकर बुलाते थे। इसकी वजह दिलचस्प है। वह अपने स्टाइल और कपड़ों के लिए मशहूर थे। उन्हें बेहतरीन इस्त्री किए हुए कपड़े पहनने की आदत थी। वे इन्हें इस तरह पहनते थे कि उसकी क्रीज भी नहीं टूटती थी। इस वजह से उनके साथी उन्हें कड़क राम कहकर बुलाने लगे। कहा जाता है कि अपने स्टाइल का वह इतना ध्यान रखते थे कि बड़े-बड़े कलाकारों से भी महंगे कपड़े पहनते थे।

क्रिकेटर

क्रिकेटर बनने आए थे मुंबई

आज भले हर कोई उन्हें एक बेहतरीन कलाकार के रूप में जानता है, लेकिन वह मुंबई क्रिकेटर बनने आए थे। जब वह क्रिकेटर नहीं बन सके, तब उन्होंने अभिनय में हाथ आजमाया। उन्होंने मुंबई में एक एक्टिंग स्कूल में अभिनय सीखा। उन्होंने 1964 की फिल्म 'हकीकत' से पर्दे पर दस्तक दी। वह 'डॉन', 'कर्ज', 'सत्ते पे सत्ता', 'रफू चक्कर' समेत करीब 200 फिल्मों में नजर आए हैं। वह आखिरी बार फिल्म 'अतिथि तुम कब जाओगे' में नजर आए थे।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

2009 में मैक मोहन को लंग कैंसर होने का पता चला था। 10 मई, 2010 को 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। कम ही लोग जानते हैं, अभिनेत्री रवीना टंडन मैक मोहन की भांजी हैं।