मिथुन चक्रवर्ती को कचरे के ढेर में मिली थी बेटी, उनकी ये बातें जानते हैं आप?
क्या है खबर?
बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हुए, जिन्होंने अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर इंडस्ट्री में अपना एक खास मुकाम हासिल किया।
मिथुन चक्रवर्ती भी उन्हीं कलाकारों में शुमार हैं, जिन्होंने अपने हुनर से हिंदी सिनेमा में अपना सिक्का जमाया और कई यादगार फिल्में देकर दर्शकों के बीच अपनी एक खास जगह बनाई।
आज यानी 16 जून को मिथुन दा अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं।
आइए उनसे जुड़ीं कुछ अनसुनी बातें जानते हैं।
गुजारा
फुटपाथ पर बिताए दिन
मिथुन ने बताया था कि उन्होंने अपना काफी वक्त फुटपाथ पर सोते हुए बिता दिया। कई-कई दिन तो वह भूखे पेट ही सोते थे और रोते थे।
कई दिन तो ऐसा होता था, जब उन्हें सोचना पड़ता था कि अगले दिन का खाना कैसे मिलेगा और वह कहां जाकर सोएंगे।
पैसे कमाने के लिए जब उन्हें कुछ नहीं सूझा तो मिथुन ने अपनी प्रतिभा की तरफ रुख किया। वह बड़ी पार्टियों में डांस करके रोजी-रोटी चलाते थे।
दुखद
कचरे के ढेर में पड़ी मिली थी बेटी
मिथुन के 3 बेटे और 1 बेटी हैं। बेटी दिशानी को उन्होंने गोद लिया था। दिशानी को गोद लिए जाने की कहानी भी बड़ी भावुक है।
दरअसल, मिथुन को दिशानी एक कचरे के ढेर में पड़ी मिली थी। उस बच्ची को NGO ने बचाया और अपने पास सुरक्षित रखा। वह उस वक्त नाजुक हालत में थी।
जैसे ही मिथुन को इस बारे में पता चला, वह तुरंत उससे मिलने पहुंचे और तब उन्होंने उस बच्ची को गोद ले लिया था।
संघर्ष
हेलन के असिस्टेंट थे मिथुन
शुरुआती दौर में जब मिथुन काम की तलाश में मायानगरी मुंबई पहुंचे तो उन्हें कोई काम देने के लिए तैयार नहीं था। वह काम की तलाश में दर-दर भटकते रहे। फिर उन्हें बाद में बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री हेलन का असिस्टेंट बनने का मौका मिला।
इसके बाद वह धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया से जुड़ते चले गए। यहां से उनकी गाड़ी निकल पड़ी। उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए। सालों इंतजार के बाद मिथुन को 'मृगया' से बॉलीवुड में पहचान मिली।
जानकारी
...जब भूख के मारे नहीं निकली आवाज
कई बार हुआ, जब मिथुन ने भूखे पेट रातें गुजारीं। 'मृगया' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद जब एक पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने पहुंचा तो भूख के मारे उनकी आवाज नहीं निकल रही थी। उन्होंने उससे कहा कि पहले खाना खिलाओ फिर इंटरव्यू देंगे।
हिही
फिल्मों में आने से पहले थे नक्सली
कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद मिथुन का झुकाव नक्सलवाद की तरफ हो गया था।
वो परिवार छोड़ नक्सलियों के साथ रहने लगे थे। उसी बीच एक दुर्घटना में उनके भाई की मौत हो गई। वह अपने परिवार के पास वापस आ गए और नक्सली दुनिया छोड़ दी।
उधर सांवले रंग के चलते मिथुन संग कोई बड़ी हीरोइन काम करने को तैयार नहीं थीं। घोषणा के बाद वो फिल्म से बाहर हो जाती थीं।