#Review: कई जगहों पर बोर करती है आयुष्मान-अमिताभ की 'गुलाबो सिताबो', जानिए कैसी है फिल्म
क्या है खबर?
कोरोना वायरस की वजह से अब भी सिनेमाघरों पर ताले चढ़े हुए हैं। ऐसे में फिल्मकार शूजीत सरकार के निर्देशन में बनी फिल्म 'गुलाबो सिताबो' को शुक्रवार को अमेजन प्राइम वीडियो पर ही रिलीज कर दिया गया है।
अमेजॉन प्राइम वीडियो पर यह फिल्म 200 देशों में 15 भाषाओं के सबटाइटल्स के साथ दर्शकों के सामने पेश की गई है।
दर्शकों को बेसब्री से इस फिल्म की रिलीज का इंतजार था। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म।
कहानी
100 साल पुरानी हवेली के इर्द-गिर्द है कहानी
फिल्म की कहानी 100 साल पुरानी हवेली के इर्द-गिर्द घूमती रहती है, जिसकी हालत जर्जर हो चुकी है।
इसमें 78 साल के मिर्जा (अमिताभ बच्चन) अपनी बेगम फातिमा (फारुख जाफर) के साथ रहते हैं। हवेली उनकी बेगम के नाम है। इसलिए इसका नाम फातिमा महल है।
इसी हवेली में सालों से कुछ किरायेदार रह रहे हैं जो सिर्फ 30-70 रुपये ही किराया देते हैं। इन्हीं में से एक बांके रस्तोगी (आयुष्मान खुराना) मिर्जा सबसे बड़ी परेशानी हैं।
कहानी
बेगम के मरने के इंतजार में रह जाते हैं मिर्जा
मिर्जा एक लालची, कंजूस और झगडालू स्वभाव के शख्स हैं, लेकिन इस हवेली के लिए उनके दिल में बेहद प्यार है। उन्होंने इसी के लिए 15 साल बड़ी फातिमा से शादी की थी।
अब उनकी जिंदगी का यही मकसद है कि वह इस हवेली से किराएदारों को निकालकर बाहर करें और बेगम के मरने के बाद यह उन्हें मिल जाए।
वहीं बांके, जो अपनी मां और तीन बहनों के साथ यहां रहता है, वह भी हवेली को नहीं छोड़ना चाहता।
झगड़े
एक हवेली, हजारों दीवाने
इस हवेली के लिए सिर्फ मिर्जा और बांके ही नहीं बल्कि और भी कई दीवाने हैं।
ये दोनों एक दूसरे को परेशान करते हुए किसी तरह एक ही हवेली में रह रहे थे। इसी बीच एंट्री होती है आर्कियोलॉजी विभाग के एक अधिकारी ग्यानेश शुक्ला (विजय राज) की, जो इस हवेली को पुरातत्व विभाग को सौंपना चाहता है।
वहीं मिर्जा भी इस हवेली को खाली करवाने के लिए एक वकील क्रिस्टोफर क्लार्क (ब्रिजेंद्र काला) को ले आते हैं।
जानकारी
बेगम के पासे ने बदला पूरा खेल
जब ये सभी अपनी नोंक-झोंक में व्यस्त होते हैं, तभी बेगम फातिमा एक ऐसा पासा फेंकती है कि पूरी बाजी ही बदल जाती है। अब वह पासा क्या था इसे जानने के लिए आपको कम से कम एक बार तो यह फिल्म देखनी होगी।
अभिनय
कड़ी मेहनत के बाद भी फीके रह गए 'मिर्जा' अमिताभ बच्चन
फिल्म में इंडस्ट्री के महानायक अमिताभ बच्चन और अभिनेता आयुष्मान खुराना को कास्ट किया गया है जो किसी भी तरह के किरदारों बखूबी पर्दे पर उतारने में माहिर हैं।
हालांकि, इस फिल्म में शूजीत सरकार कुछ भी नया करवाने में कामयाब होते नहीं दिखे।
अमिताभ ने अपने लुक, बोल-चाल और आवाज पर काफी काम किया, लेकिन उनके लिए इस तरह की भूमिकाओं को निभाना मुश्किल नहीं है।
कई हास्य दृश्यों में भी वह दर्शकों को हंसा नहीं पाते।
किरदार
बेहतरीन था आयुष्मान का किरदार
आयुष्मान खुराना के अभिनय की बात करें तो फिल्म में उनका थोड़ा सा पेट निकला हुआ दिखाया गया है। उन्होंने अपने उच्चारण में भी काफी बदलाव किया है।
आयुष्मान को देखकर कहा जा सकता है कि उन्होंने एक गरीब और जिम्मेदार, परेशान बेटे और भाई की भूमिका को काफी हद तक बेहतर दिखाने की कोशिश की है।
अगर यह कहा जाए कि आयुष्मान ने इस फिल्म और अपने किरदार को अच्छे ढंग से संभाला, तो यह गलत नहीं होगा।
दमदार बेगम
बेहद दमदार थी 'बेगम' फारुख जाफर
फिल्म में फारुख जाफर की भी अपनी एक दिलचस्प कहानी दिखाई गई है। फातिमा बेगम के रूप में वह दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहती हैं।
इसमें उनके सीन्स काफी कम दिखाए गए हैं। जबकि वह जितने भी हिस्सों में नजर आईं, उन्होंने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी।
फिल्म में कई जगहों पर उनकी कमी महसूस की जा सकती है। अगर उन्हें कुछ और सीन्स दिए जाते तो फिल्म और ज्यादा मजेदार बन सकती थी।
म्यूजिक
बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी और संगीत
फिल्म में लखनऊ की खूबसूरती और चमक-दमक आपको शायद ही कहीं देखने के लिए मिले, लेकिन अविक मुखोपाध्याय ने लखनऊ की पुरानी हवेली और नवाबी ठाठ-बाट को बेहतरीन तरीके से अपने कैमरे में कैद किया है।
वहीं संगीत की बात करें तो ज्यादा संगीत नहीं दिया गया है और इसकी कहीं जरूरत भी महसूस नहीं होती। कुछ हिस्सों में माहौल के अनुसार ही संगीत फिट किया गया है। बिना लिप्सिंक वाला यह संगीत आपको संतुष्ट करता है।
समीक्षा
देखें या ना देखें?
फिल्म में कई हिस्से बहुत खींचे हुए हैं। वहीं आधी फिल्म निकलने के बाद भी इसमें नए-नए किरदारों की एंट्री होती रहती है। फिल्म आपको अपने साथ बांधे रखने में सफल नहीं होती।
10 मिनट के क्लाइमेक्स में ही आपकी थोड़ी दिलचस्पी बढ़ेगी। फिल्म में एक संदेश दिया गया है, 'लालच करना बुरी बात है।'
आयुष्मान, अमिताभ और फारुख के लिए एक बार इस फिल्म को देखा जा सकता है।
हमने फिल्म को पांच में से 2.5 स्टार दिए हैं।