25 साल बाद मशहूर टीवी धारावाहिक 'स्वाभिमान' की पर्दे पर वापसी
क्या है खबर?
जब भी 90 के दशक के मशहूर धारावाहिकों का जिक्र होता है तो 'स्वाभिमान' का नाम जहन में जरूर आता है। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला यह धारावाहिक खूब लोकप्रिय हुआ था।
अब 25 साल बाद इसकी वापसी हो गई है। 19 अप्रैल से टाटा स्काई सीनियर्स पर शो ऑन एयर हो चुका है।
महेश भट्ट के निर्देशन में बना यह शो दर्शकों के बीच फिर अपना जादू चलाने के लिए तैयार है।
आइए जानते हैं पूरी खबर।
बयान
क्या बोले शो का अहम हिस्सा रहे अभिनेता रोहित रॉय?
शो का अहम हिस्सा रह चुके अभिनेता रोहित रॉय का कहना है, "दर्शकों ने पिछले कुछ वर्षों में मुझे कई अलग-अलग किरदारों में देखा और सराहा है, लेकिन हर अभिनेता के जीवनकाल में एक खास शो और कैरेक्टर होता है, जो उसके जीवन को हमेशा के लिए बदल देता है।"
उन्होंने कहा, "मेरे लिए वह किरदार ऋषभ मल्होत्रा का है, जो मैंने 'स्वाभिमान' में निभाया था। यह किरदार हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगा।"
शुरुआत
'स्वाभिमान' से एक्टिंग के मैदान में उतरे थे रोहित रॉय
रोहित पहले भी कई बार यह बता चुके हैं कि 'स्वाभिमान' उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। इसी के जरिए उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था।
उन्होंने बताया था कि महेश भट्ट ने उन्हें देखते ही इस शो के लिए साइन कर दिया था, जबकि उन्होंने एक्टिंग का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया था।
रोहित ने कहा था कि इसी शो की बदौलत उनके करियर की गाड़ी आगे बढ़ी थी, इसलिए यह उनके लिए हमेशा खास रहेगा।
उपलब्धि
'स्वाभिमान' ने 90 के दशक में रचा था इतिहास
स्वाभिमान का प्रसारण 1995 से शुरू हुआ था। जहां शोभा डे और विनोद रंगनाथन ने इसकी कहानी लिखी थी,वहीं, महेश भट्ट शो के निर्देशक थे।
शायद बहुत से लोग इस बात से नावाकिफ होंगे कि यह एक ऐसा पहला भारतीय शो था, जिसने 500 एपिसोड पूरे किए थे।
इस धारावाहिक में किट्टू गिडवानी, अंजू महेंद्रू, मनोज बाजपेयी, आशुतोष राणा, और दीपक पाराशर, जैसे कई दिग्गज कलाकारों ने काम किया था। सभी ने अपने अभिनय से दर्शकों से वाहवाही बटोरी थी।
स्टोरीलाइन
कुछ ऐसी थी 'स्वाभिमान' की कहानी
'स्वाभिमान' की कहानी एक आकर्षक महिला स्वेतलाना बनर्जी (किट्टू गिडवानी) के इर्द-गिर्द घूमती दिखी थी। स्वेतलाना ने एकदम जिंदादिल लड़की का किरदार निभाया था, जो सलवार कमीज या साड़ी नहीं, बल्कि मॉडर्न कपड़े पहनती थी।
सीरियल में एक किरदार केशव मल्होत्रा की मृत्यु हो जाती है और किरदारों में विरासत के लालच की जंग शुरू होती है।
आस-पास के लोग स्वेतलाना का मनोबल तोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन सभी साजिशों से निकलकर स्वेतलाना अपना मुकाम हासिल करके रहती है।