#MovieReview: दर्द और सस्पेंस की कहानी 'बुलबुल' में क्या है उल्टे पैर वाली चुड़ैल का सच?
बॉलीवुड अदाकारा अनुष्का शर्मा अपने प्रोडक्शन हाउस क्लीन स्लेट फिल्म्स से एक के बाद एक बेहतरीन कहानियां निकाल रही हैं। वेब सीरीज 'पाताल लोक' की सफलता के बाद अब उन्होंने अपनी फिल्म 'बुलबुल' भी नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी है। कुछ वक्त पहले रिलीज किए गए इस फिल्म के ट्रेलर ने दर्शकों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए थे। इसी के साथ फिल्म के लिए भी उत्सुकता काफी बढ़ गई थी। चलिए जानते हैं कैसी है ये फिल्म।
पांच साल की उम्र में बुलबुल की शादी से शुरु होती है कहानी
फिल्म की कहानी दो हिस्सों में चलती हैं, एक बीता हुआ कल और आज। कहानी शुरु होती है 1881 में बुलबुल (तृप्ति डिमरी) की शादी से। जिसकी पांच साल की उम्र में राजघराने के बड़े ठाकुर इंद्रनील (राहुल बोस) से शादी कर दी जाती है। बिदाई के बाद रास्ते में बुलबुल का देवर सत्या (अविनाश तिवारी) उसे एक उल्टे पैरों वाली चुड़ेल की कहानी सुनाता है, जो जंगलों में भटकती है और पेड़ों पर उल्टी लटकती है।
कई भावुक करने वाले मोड़ के साथ आगे बढ़ती है कहानी
वक्त के साथ बुलबुल और सत्या बड़े होते हैं। बुलबुले अपने देवर के बहुत करीब है, लेकिन बड़े ठाकुर अपने भाई को पढ़ाई के लिए लंदन भेज देते हैं। इस दौरान बुलबुल के साथ ऐसी घटनाएं घटती हैं जिसे देखकर दिल पसीजने लगता है।
फिर फिल्म में आते हैं दिलचस्प मोड़
पांच साल बाद जब सत्या वापिस लौटता है तो सबकुछ बदला हुआ होता है। गांव को लोग कहते हैं कि कोई चुड़ैल लोगों का खून कर रही है। फिल्म में शुरुआत से अंत तक आपके मन में जिज्ञासा बनी रहेगी कि अब क्या होगा, हर मोड़ पर सस्पेंस है। बुलबुल आपके मन में कई सवाल खड़े करती है। दूसरी ओर ये चुड़ैल कौन है? क्यों लोगों को मार रही है? ऐसे ही सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने पर मिलेंगे।
दमदार है बुलबुल और बिनोदिनी की भूमिका
फिल्म के किरदार का चुनाव बहुत बारीकी से किया गया है। हर कलाकार अपने आप में लाजवाब है। बुलबुल के किरदार को तृप्ति ने बहुत खूबसूरती के साथ पर्दे पर उतारा है। उनके चेहरे की मासूमियत में प्यार का रंग खूब चढ़ा, वहीं उन्होंने दर्द, खुशी और गुस्से जैसे एक्सप्रेशन्स देने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। फिल्म में एक और दमदार किरदार दिखा, छोटी बहू बिनोदिनी (पाओमी दाम) का। छोटी बहू होते हुए भी उनका रौब देखने वाला था।
बाकी स्टार कास्ट मे भी किया अपने किरदारों के साथ इंसाफ
राहुल बोस को फिल्म में डबल रोल में देखा गया। उन्होंने इंद्रनील के रूप में बड़े ठाकुर के रौब, समझदार पति और गुस्सैल शख्स को बखूबी निभाया। उन्होंने अपने जुड़वा पागल भाई महेंद्र के किरदार में भी कोई कमीं नहीं छोड़ी। देवर सत्या की भूमिका में अविनाश ने भी इंसाफ किया है। जबकि पमरब्रत को डॉ सुदीप के रूप में ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिला, लेकिन वह जहां भी दिखें आप उन पर से अपनी नजरें नहीं हटा पाएंगे।
शानदार निर्देशन, लेकिन डर की कमी
अंविता दत्त के निर्देशन में बनी इस फिल्म को एक महिला पर केंद्रित किया गया है, जो किसी से भी अपना दर्द बयां किए बिना ही सबकुछ अपने चेहरे पर मुस्कान लिए सहती जा रही है। वहीं उन्होंने अपनी इस फिल्म में राजघराने में दफन बड़े राज को भी दिखाने की कोशिश की है। हॉरर ड्रामा फिल्म होने के बावजूद अंविता दर्शकों को डराने में तो कामयाब नहीं हो पाईं, लेकिन उन्होंने सस्पेंस का तड़का बखूबी लगाया है।
काबिल-ए-तारीफ है सिनेमैटोग्राफी
फिल्म के साथ आप ऐसे बंध जाएंगे कि आपका ध्यान इसके म्यूजिक पर जाएगा ही नहीं। फिल्म में खासतौर पर इसकी सिनेमैटोग्राफी की तारीफ करनी पड़ेगी। सिद्धार्थ दिवान ने फिल्म में हर रंग, हर नक्काशी को बेहद खूबसूरती से पेश किया है। पेड़, चांद और रात की हल्की गुलाबी और बैंगनी रंग की रौशनी आपका मन मोह लेगी। ऊंचे पेड़ों पर छलांग लगाती और उल्टी लटकती चुड़ैल के सीन्स को भी उन्होंने बखूबी अपने कैमरे में कैद किया है।
देखें या न देखें?
बेशक अनुष्का की पिछली हॉरर फिल्म 'परी' ने आपको निराश किया हो, लेकिन 'बुलबुल' आपकी उम्मीदों पर जरूर खरी उतरेगी। यह एक टिपिकल हॉरर फिल्म नहीं है। अगर आप इस फिल्म को देखने की योजना बना रहे हैं तो जरूर देख सकते हैं, इसमें आपका वक्त बर्बाद नहीं होगा। फिल्म की कहानी के अलावा हर किरदार अपने अभिनय से भी आपका दिल जीत लेगा। हम इस फिल्म को पांच में से 3.5 स्टार दे रहे हैं।