'बड़े मियां छोटे मियां' रिव्यू: अक्षय-टाइगर का जबरदस्त एक्शन, निर्देशक से यहां हुई चूक
क्या है खबर?
आखिरकार वो पल आ गया है, जिसका सभी को इंतजार था। आज (11 अप्रैल) अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की 'बड़े मियां छोटे मियां' ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है।
मौका ईद का हो और फिल्म अली अब्बास जफर जैसे जबरदस्त निर्देशक की तो दर्शकों में उत्साह होना आम बात है।
सुबह के शो में खचाखच भरे सिनेमाघर को देखकर पता लगता है कि अक्की की फिल्मों के दीवाने आज भी हैं।
चलिए जानते हैं कैसी है यह फिल्म।
कहानी
दो बिगड़ैल..मगर देशभक्त सैनिकों की कहानी
फिल्म कैप्टन फिरोज उर्फ फ्रेडी/बड़े (अक्षय) और कैप्टन राकेश उर्फ रॉकी/छोटे (टाइगर) की कहानी कहती है, जिन्हें भारतीय सशस्त्र बलों के सबसे बहादुर सैनिकों में गिना जाता है।
यह दोनों इस कदर बिगड़ैल हैं कि उनकी एक गलती के कारण उन्हें सेना से निष्कासित कर दिया जाता है।
हालांकि, 8 साल बाद भी जब देश पर ऐसा खतरा मंडराता है, जिसका ना कोई नाम है ना पहचान तो मेजर आजाद (रोनित बोस रॉय) को दोनों की ही याद आती है।
विस्तार
कबीर से जीत पाएंगे जंग?
यह खतरा डॉक्टर कबीर (पृथ्वीराज सुकुमारन) है, जिसकी योजना चीन-पाकिस्तान पर हमला करके भारत को नष्ट करने की है।
कबीर सेना का गोपनीय पैकेज लूटता है, जिसे वापस लाना ही मिशन है।
क्या बड़े और छोटे, कैप्टन मिशा (मानुषी छिल्लर), IT स्पेशलिस्ट पैम (अलाया एफ) और प्रिया (सोनाक्षी सिन्हा) की मदद से उसे रोक पाएंगे?
सबसे जरूरी कि कबीर कौन है और देश को क्यों नष्ट करना चाहता है?
इन सवालों के जवाब के लिए सिनेमाघरों का रुख करना होगा।
जानकारी
अमिताभ-गोविंदा की फिल्म से नहीं कोई वास्ता
अक्षय-टाइगर की 'बड़े मियां छोटे मियां' का साल 1998 में रिलीज हुई अमिताभ बच्चन और गोविंदा की इसी नाम की फिल्म से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में अली की फिल्म को डेविड धवन की फिल्म का सीक्वल कहना बिल्कुल गलत होगा।
अभिनय
अक्षय-टाइगर का कमाल अभिनय
अक्षय को सभी ने एक्शन हीरो के रूप में सराहा और वह एक बार फिर मारधाड़ करने लौटे हैं।
फिल्म में उनका एक्शन कमाल और अभिनय बेमिसाल है। वह अपनी उम्र को मात देकर इस तरह का एक्शन करते दिखे हैं, जिसे देख कहना गलत नहीं होगा कि खिलाड़ी लौट आए हैं।
टाइगर के अभिनय में सुधार देखने को मिला। पर्दे पर उनके हाव-भाव डायलॉग के हिसाब से बदलते नजर आए। हर दृश्य में उन्होंने अक्षय का भरपूर साथ दिया।
सहायक कलाकार
दम दिखाने से चूके सहायक कलाकार
'गोट' में पृथ्वीराज का अभिनय देखने के बाद लगता है निर्देशक उनके कौशल का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाए। मास्क उतरते ही उनका जादू खत्म होने लगता है, जो खलनायकी को कमजोर बनाता है।
मानुषी ने अपने अभिनय में जान डालने की पूरी कोशिश की, लेकिन विफल रहीं। आलाया की अदाकारी ने उनके किरदार को दम दिया।
छोटी सी भूमिका में सेना की वर्दी पहने सोनाक्षी सोने की तरह चमकती हैं, लेकिन भावनात्मकता लाने में जूझती दिखती हैं।
निर्देशन
अली के निर्देशन का नया दृष्टिकोण
'टाइगर जिंदा है' और 'सुल्तान' जैसी फिल्में देने वाले अली ने दर्शकों के सामने एक एक्शन एंटरटेनर फिल्म को हंसी-मजाक का तड़का लगाकर पेश करने की कोशिश की है, जिसमें वह सफल रहे हैं।
उन्होंने अपने दृष्टिकोण और तकनीकी कौशल से एक्शन और हंसी का एक बेहतरीन संतुलन बनाया है।
मार्सिन लस्काविएक की सिनेमैटोग्राफी, एक्शन सेट और सुंदर स्थानों की भव्यता को दर्शाती है, जो फिल्म को दर्शनीय बनाती है।
जानकारी
चुस्त पटकथा फिल्म की ताकत
अली ने एक्शन दृश्यों में स्पेशल इफेक्ट्स का काबिल-ए-तारीफ प्रयोग किया, जिसे देखकर सब सच प्रतीत होता है। अली ने आदित्य बसु के साथ एक चुस्त पटकथा लिखी है। फिल्म सोचने का समय नहीं देती और यह इसकी अच्छी बात है।
कमी
यहां खली कमी
बॉलीवुड की अन्य फिल्मों की तरह ही इसमें भी देशभक्ति थीम, एक आम दुश्मन, बहादुर दिल वाले देशभक्त सैनिक, भरपूर एक्शन और घातक मिशन वाले फॉर्मूले का सहारा लिया गया है।
ऐसे में यह थोड़े से बदलाव और संयोजन के साथ पुरानी कहानी लगती है, जिसे एक नए नाम के साथ दर्शकों के सामने परोसा गया है।
फिल्म को अक्षय और टाइगर ने अपने कंधों पर उठाया है, लेकिन सहायक कलाकारों का और अच्छे से इस्तेमाल किया जा सकता था।
जानकारी
बोर करने वाला है संगीत
फिल्म की एक और कमजोरी इसका संगीत है। इसके बैकग्राउंड म्यूजिक में जरा रस नहीं है। फिल्म में 2-3 गाने हैं, जो पर्दे पर ठीक-ठाक लगते हैं, लेकिन याद रहने लायक नहीं हैं। कुल मिलाकर विशाल मिश्रा और इरशाद कामिल अपने काम में विफल रहे।
अभिनेत्रियां
कैटरीना-अनुष्का जैसा जादू नहीं चला पाईं अभिनेत्रियां
अली की फिल्मों में मुख्य रूप से महिलाओं को प्रमुखता दी जाती है।
'टाइगर जिंदा है' में स्टंट करने वाली, सलमान खान को टक्कर देने वाली कैटरीना कैफ को कौन भूल सकता है!
अली ने कैटरीना को नए जमाने की एक्शन स्टार के रूप में स्थापित किया।
'सुल्तान' में अनुष्का शर्मा का सलमान के साथ रिश्ता कहानी का आधार था।
हालांकि, 'बड़े मियां छोटे मियां' उस मोर्चे पर निराश करती है। इसमें अभिनेत्रियों को उस रूप में नहीं दिखाया गया।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- 'बड़े मियां छोटे मियां' मनोरंजन के लिहाज से देखी जाने वाली फिल्म है। ईद पर फिल्म आपके पूरे परिवार का मनोरंजन कर सकती है क्योंकि इसमें एक भी ऐसा दृश्य नहीं है, जो बच्चों के साथ न देखा जा सकता हो।
क्यों ना देखें?- अगर आपको एक्शन फिल्मों से परहेज है, तो आप इससे दूरी बना सकते हैं। फिल्म 2 घंटे 35 मिनट लंबी है। इसकी लंबाई भी दूरी की वजह बन सकती है।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5