आशा पारेख का महिलाओं के फैशन पर ऐतराज, बोलीं- पारंपरिक परिधान छोड़ वेस्टर्न कपड़े पहन रहीं
अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री आशा पारेख एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में वह गोवा में आयोजित हुए 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में पहुंची थीं। यहां उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री, भारतीय संस्कृति और समाज पर बातचीत की। उन्होंने महिलाओं के नए फैशन पर भी ऐतराज जताया। आशा ने महिलाओं के वेस्टर्न कपड़े पहनने को लेकर अपनी राय दी। उन्होंने बताया कि समय के साथ सबकुछ बदल चुका है। आइए जानते हैं आशा ने क्या कुछ कहा।
महिलाओं के कपड़ों के लिए कही ये बात
IE के अनुसार, 80 वर्षीया आशा ने कहा, "मुझे दुख होता है कि शादियों में महिलाएं पारंपरिक परिधानों को छोड़ वेस्टर्न कपड़े पहन रही हैं। वे गाउन पहनकर आ रही हैं। अरे भैया, हमारी घाघरा चोली, साड़ियां और सलवार कमीज है, आप वो पहनो ना।" उन्होंने कहा, "वे बस स्क्रीन पर हीरोइनों को देखती हैं और उन्हें कॉपी करना चाहती हैं। स्क्रीन पर देखकर सोचते हैं वो जो कपड़े पहन रहे हैं, उस तरह के कपड़े हम भी पहनेंगे।"
आशा ने दिया अपनी संस्कृति अपनाने पर जोर
आशा ने कहा, "अपने फिगर की परवाह किए बगैर मोटे हो या जो, महिलाएं बस हीरोइनों की देखा-देखी कर रही हैं। चाहे फिर वो कपड़ा आपके शरीर पर फब रहा हो या नहीं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पता नहीं हम क्यों पश्चिमी देशों की नकल कर रहे हैं?" उन्होंने कहा, "हमारे पास इतनी महान संस्कृति, नृत्य और संगीत है कि हम इसे पॉप संस्कृति में वापस ला सकते हैं। हमारे दौर से अब तक बहुत कुछ बदल चुका है।"
आशा को याद आया अपना दौर
आशा ने कहा, "हमारे समय में हीरोइनों को खराब अनुभव से गुजरना पड़ता था। कई बार हम लोग जब शूटिंग पर जाते थे तो स्टूडियो में बाथरूम तक नहीं होते थे। वैनिटी वैन की बात बहुत दूर है।" उन्होंने बताया कि कभी-कभार यह स्थिति होती थी कि महिला कलाकारों को बाथरूम ना होने के कारण पूरा दिन यूं ही गुजार देना पड़ता था। लोग आउटडोर शूटिंग पर जाते थे तो कई बार झाड़ियों के पीछे जाकर कपड़े बदलने पड़ते थे।
दिलीप कुमार को नापसंद करने की बात पर क्या बोलीं आशा?
आशा ने उस रिपोर्ट पर भी चुप्पी तोड़ी, जिसमें कहा गया कि वह दिलीप कुमार को कभी पसंद नहीं करती थीं और इसी वजह से उन्होंने उनके साथ काम नहीं किया। इस पर आशा ने कहा, "मैंने ऐसी खबर पढ़ी थी कि मैं दिलीप कुमार को पसंद नहीं करती थी। हालांकि, मैं उन्हें पसंद करती थी और उनके साथ काम भी करना चाहती थी। हमने साथ में एक फिल्म साइन की थी, लेकिन बदकिस्मती से वो फिल्म नहीं आई।"
न्यूजबाइट्स प्लस
आशा ने 10 साल की उम्र में 1952 में फिल्म 'मां' से बॉलीवुड में कदम रखा था। उनकी आखिरी फिल्म 1999 में आई 'सर आंखों पर' थी। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार मिल चुका है।