प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग पर UPSC को 2 सप्ताह के भीतर देना होगा जवाब
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2023 को चुनौती देने वाली याचिका पर आज (3 जुलाई) को सुनवाई की।
प्रारंभिक परीक्षा से जुड़ी याचिका पर हाई कोर्ट ने UPSC से जवाब मांगा है। UPSC को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करना होगा।
इससे पहले CSAT के कट ऑफ अंक 33 प्रतिशत से 23 प्रतिशत करने के मामले में हाई कोर्ट केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) को निर्देशित कर चुका है।
अगली सुनवाई
अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान UPSC की ओर से वकील ने याचिका की विचारणीयता पर आपत्ति जताने और विस्तृत प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए समय मांगा।
इस पर न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने मामले की सुनवाई 3 सप्ताह बाद करने का आदेश दिया।
आयोग द्वारा पेश जवाब और याचिकाकर्ताओं की मांग को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा और अब 3 सप्ताह बाद ही अंतिम फैसला आने की उम्मीद है।
मामला
क्या है मामला?
कुल 17 सिविल सेवा अभ्यर्थियों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रारंभिक परीक्षा 2023 को रद्द करने और इसे फिर से आयोजित करने के निर्देश देने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि छात्र पूरे भर्ती चक्र के संचालन में आयोग की मनमानी से परेशान हैं।
याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा परिणाम के संबंध में 12 जून के UPSC के प्रेस नोट को भी चुनौती दी है और उत्तर कुंजी प्रकाशित करने का अनुरोध किया है।
upsc
UPSC का रवैया तर्कसंगत नहीं- याचिकाकर्ता
जस्टिस मनोज जैन की अवकाश पीठ के सामने ये मामला आया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव कुमार दुबे ने कोर्ट में कहा कि UPSC की मनमानी से छात्र परेशान हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है आयोग का रवैया तर्कसंगत नहीं है। उत्तर कुंजी प्रदान न करके और उनकी मांगों पर विचार न करके आयोग निष्पक्षता, तर्कसंगतता के सभी सिद्धांतों की अवहेलना कर रहा है। आयोग को जल्द ही परीक्षा की उत्तर कुंजी प्रकाशित करनी चाहिए।
उत्तर
उत्तर कुंजी को लेकर याचिकाकर्ताओं की मांग
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सभी राज्य लोक सेवा आयोग, दिल्ली न्यायिक परीक्षा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे अन्य प्राधिकरण परीक्षा के आयोजन के बाद 1 सप्ताह के अंदर अंतरिम उत्तर कुंजी जारी करते हैं और आपत्तियां उठाने का समय देते हैं।
उम्मीदवार की आपत्तियों के आधार पर उत्तर कुंजी को संशोधित भी किया जाता है, लेकिन UPSC मनमाने ढंग से कार्य करते हुए उत्तर कुंजी प्रकाशित नहीं करता। इससे छात्र अपने प्रदर्शन का आंकलन नहीं कर पाते।