अनाथालय में रहकर देखा IAS अधिकारी बनने का सपना, अब बनें कलेक्टर
क्या है खबर?
पिछले सोमवार को IAS बी अब्दुल नसर ने कोल्लम जिला कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला है।
नसर ने वर्षों से इस दिन का सपना देखा था। यहां तक कि उन्होंने अनाथालयों में रहने के बावजूद नौकरी की थी।
अनाथालयों से जिला कलेक्ट्रेट तक का सफर लंबा और कठिन है, लेकिन नसर ने जो भी कुछ किया वह इस विश्वास के साथ किया कि समाज के प्रति उनकी भी कुछ जिम्मेदारी हैं।
आइए जानें नसर कैसे बनें IAS अधिकारी।
शुरुआत
पिता की मौत के बाद नसर को अनाथालय भेज दिया गया
49 वर्षीय नसर अपने परिवार में छह बच्चों में सबसे छोटे हैं। जब वह पाँच वर्ष के थे तब उनके पिता का निधन हो गया और उनकी माँ मंजुम्मा पर सभी के पालन पोषण का बोझ पड़ गया था।
द न्यूज मिनट ने रिपोर्ट के अनुसार घरों में काम करने से वे थोड़ा ही कमा पती थीं। रिश्तेदारों के दबाव के कारण उन्हें न चाहते हुए भी अपने गृह नगर थालास्सेरी के अनाथालय में नसर को भेजना पड़ा।
काम
अनाथालय में रहते हुए नसर ने होटल, दुकानों में किया काम
अनाथालय में रहते हुए नसर ने तिरुवनंतपुरम और कोझीकोड में कई काम किए।
उन्होंने TNM को बताया, "मैंने होटल और दुकानों में एक डिलीवरी बॉय और क्लीनर के रूप में काम किया है। जब मैं 16 साल का था, तो मैं कैशियर, अखबार वितरक, ट्यूटर और STD बूथ ऑपरेटर के रूप में काम करता था।"
साथ ही उन्होंने कहा, "मैंने ये अपने आस-पास के बच्चों को कम उम्र में काम करते देख शुरू किया।"
जानकारी
कलेक्टर द्वारा अनाथालय का दौरा करने पर नसर IAS बनने के लिए प्रेरित हुए
उन्होंने कहा कि उनका सपना IAS अधिकारी बनने का तब से था जब 1983 में तत्कालीन जिला उपजिलाधिकारी अमिताभ कांत ने थालास्सेरी के अनाथालय का दौरा किया था। केरल के कैडेट IAS अधिकारी और नीति आयोग के वर्तमान CEO कांत को देखकर वे प्रेरित हुए।
पढ़ाई
प्राप्त की ये डिग्री
नसर को 10वीं पास करने के बाद त्रिशूर में वतनपल्ली अनाथालय में स्थानांतरित कर दिया गया और त्रिसूर वतनपल्ली इस्लामिया कॉलेज से उन्होंने 12वीं की।
उन्होंने थालसेरी में अपने घर वापस जाने का रास्ता ढूंढ लिया, जहाँ उन्होंने गवर्नमेंट ब्रेनन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में BA की पढ़ाई की।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर और फ़ारूक कॉलेज कोझीकोड से B.Ed डिग्री प्राप्त की है।
जानकारी
पारिवारिक दायित्वों के कारण उन्हें स्वास्थ्य निरीक्षक की नौकरी की
नसर आगे अध्ययन करना चाहते थे। नसर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके पास पारिवारिक दायित्व थे, इसलिए उन्होंने शॉर्ट-टर्म पाठ्यक्रम किया और एक स्वास्थ्य निरीक्षक बन गए। हालांकि, उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन करते रहे।
लोक सेवा
शादी के बाद नसर ने सिविल सर्विस को गंभीरता से लिया
जब केरल लोक सेवा आयोग ने डिप्टी कलेक्टर पद के लिए रिक्तियों की घोषणा की, तो नसर ने स्वास्थ्य निरीक्षक के रूप में काम करते हुए आवेदन किया और तैयारी की।
हालांकि स्कूल की शिक्षक एमके रुक्साना से शादी करने के बाद उन्होंने तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी पत्नी ने उनके सपने का समर्थन किया।
उन्होंने 2002 में राज्य सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा और 2004 में मेन परीक्षा दी।
2006 में उन्हें डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किया गया।
इच्छा
करते हैं ये इच्छा
TIE से बात करते हुए नसर ने कहा कि हालांकि वह एक सामान्य नौकरी भी कर सकते थे, लेकिन उन्हें हमेशा से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी याद रहीं।
अन्य सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे बस यह कहना है कि आम लोगों की मदद करने से ज्यादा खुशी की बात और कोई नहीं है। हमारा काम भी बस यही है।"
वे इच्छा करते हैं काश उनकी गुजरी हुईं मां उनकी इस सफलता को देख सकतीं।
उन्नति
साल 2007 में बनें IAS अधिकारी
साल 2015 में नसर को केरल में सर्वश्रेष्ठ डिप्टी कलेक्टर के लिए नामित किया गया था।
परीक्षाओं को ऑनलाइन प्रारूप में बदलने के केरल सरकार द्वारा किए गए प्रयासों में उनका भी योगदान था।
अक्टूबर 2017 में उनकी IAS अधिकारी के रूप में पदोन्नति हुई।
नसर ने कोल्लम कलेक्टर के रूप में अपनी हाल की नियुक्ति तक केरल सरकार में हाउसिंग कमिश्नर के रूप में काम किया।