NCTE बंद करेगा खराब प्रदर्शन करने वाले B.Ed कॉलेज, एक हजार संस्थानों की चल रही जांच
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की तरह ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने भी शिक्षक ट्रेनिंग देने वाले नॉन-परफॉर्मिंग संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए NCTE के चेयरपर्सन सतबीर बेदी ने कहा कि वे प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए अप्रेजल रिपोर्ट सिस्टम की शुरूआत करने की योजना बना रहे हैं। इससे शिक्षण और प्लेसमेंट की गुणवत्ता सहित कई पहलुओं पर संस्थानों की जांच की जाएगी। आइए जानें पूरी खबर।
1,000 संस्थानों की हो रही है जांच
इसके साथ ही सतबीर बेदी ने ये भी बताया कि बात न मानने वाले और पर्याप्त रूप से प्रदर्शन नहीं करने वाले संस्थानों को दंड (पेनल्टी) का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट सालाना जारी की जाएगी। अभी देश भर के 1,000 शिक्षण संस्थानों की जांच की जा रही है। एक भी कॉलेज को शिकायत के आधार पर शॉर्टलिस्ट नहीं किया है, लेकिन शिक्षक प्रशिक्षण के लिए नियमों का नियमित रुप से पालन न करने वाले कॉलेज को शॉर्टलिस्ट किया गया है।
शिक्षण के लिए नहीं बल्कि शादी के लिए डिग्री बन गई है B.Ed
द हिंदू के अनुसार NCTE के चेयरपर्सन सतबीर बेदी का कहना है कि B.Ed शिक्षण के लिए नहीं बल्कि शादी के लिए एक डिग्री बन गई है। जिसको बदलना बहुत जरुरी है। उन्होंने बताया कि उनका एजेंडा बेकार कॉलेजों को बंद करना है।
हर साल आते हैं इतने एनरोलमेंट
कई संस्थान ऐसे भी हैं, जो न्यूनतम आवश्यकता को पूरा करने में भी असफल होते हैं और कई सीटें गैर-गुणवत्ता वाले प्लेसमेंट के अलावा भी खाली रह जाती हैं। इसके साथ ही जिन संस्थान को छात्र स्वीकार नहीं करेंगे, उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा। NCTE ने दावा किया है कि उसे B.Ed पाठ्यक्रमों के लिए हर साल 5 लाख तक का नामांकन (Enrolment) प्राप्त होता है, जबकि कई संस्थानों में सीटें अभी भी खाली हैं।
इतने लाख अतिरिक्त छात्रों को कर सकते हैं ट्रेंड
बेदी का कहना है कि उनके पास प्रत्येक वर्ष 19 लाख से अधिक छात्रों को ट्रेंड करने की क्षमता है। हालांकि सालाना केवल 3 से 3.5 लाख नौकरियां उत्पन्न होती हैं। इसके साथ ही अभी उनके पास B.Ed पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले अतिरिक्त पांच लाख छात्रों की क्षमता है। उम्मीदवार अक्सर कम प्लेसमेंट रिकॉर्ड वाले संस्थानों का चयन नहीं करते हैं। बता दें कि गुणवत्ता संस्थानों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा।
होना चाहिए इतना शिक्षत-छात्र अनुपात
अगर हम शिक्षक-छात्र अनुपात की बात करें, तो देश में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:27 होना चाहिए। देश के लगभग 26 करोड़ छात्रों को 90 लाख शिक्षक चाहिए। बेदी के अनुसार अगर प्रत्येक शिक्षक लगभग 30 वर्षों तक एक शिक्षक के रुप में कार्य करता है, तो लगभग तीन लाख शिक्षक उम्मीदवारों की और जरुरत है। इसके साथ ही बहुत ऐसे भी छात्र हैं, जो बिना क्लास अटेंड किए नौकरी न करने के उद्देश्य से भी B.Ed करते हैं।
अगले शैक्षणिक वर्ष तक पूरी होगी प्रक्रिया
NCTE को उम्मीद है कि वे जल्द ही अपनी प्रदर्शन अप्रेजल प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे और अगले शैक्षणिक वर्ष में उम्मीदवारों के प्रवेश से पहले ही खराब प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को बंद कर देंगे। जरुरत से लगभग दौगुना ज्यादा उम्मीदवारों का B.Ed करके शिक्षक बनना ही सबसे बड़ा कारण है कि बच्चों का भविष्य बनाने वाले और उन्हें प्रेरित करने वाले शिक्षक प्रति माह मात्र 2,000 से 3,000 रुपये तक ही कमाते हैं।