'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के लिए आवंटित बजट का 80 प्रतिशत पैसा प्रचार पर हुआ खर्च
मोदी सरकार की तरफ से 2015 में लॉन्च की गयी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का कई राज्यों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। गुरुवार को संसद में महिला सशक्तिकरण समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के लिए आवंटित बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा प्रचार-प्रसार और विज्ञापनों में खर्च किया गया है।
योजना के लिए आवंटित किए 848 करोड़ रुपये
महाराष्ट्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा सांसद हीना विजयकुमार गावित की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार को लोकसभा में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के संदर्भ में शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण पर अपनी पांचवीं रिपोर्ट पेश की। समिति ने सदन में बताया कि 2014-15 में अपनी स्थापना के बाद से 2019-20 तक इस योजना के तहत कुल 848 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं।
2020-21 में राज्यों को 622.48 करोड़ रुपये जारी हुए
समिति के मुताबिक, 2020-21 में महामारी के काल को छोड़कर राज्यों को 622.48 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, "केवल 25.13 प्रतिशत धन, यानी 156.46 करोड़ रुपये, राज्यों द्वारा खर्च किए गए हैं जो योजना के अनुमानित लक्ष्य के अनुरूप प्रदर्शन नहीं है।" समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2016-2019 के दौरान जारी किए गए कुल 446.72 करोड़ रुपये में से 78.91 प्रतिशत मीडिया विज्ञापनों पर खर्च किया गया।
समिति ने सरकार की इस योजना पर क्या कहा?
रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया अभियान की जरूरत को समझती है, लेकिन योजना के अन्य उद्देश्यों को संतुलित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।" रिपोर्ट मे आगे कहा गया है कि समिति सिफारिश करती है कि सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मामलों के लिए नियोजित व्यय आवंटन पर भी ध्यान देना चाहिए।
न्यूजबाइट्स प्लस
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में की थी। इस योजना का उद्देश्य लड़कियों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को खत्म करना, लिंगानुपात को कम करना और महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों को बढ़ावा देना है। यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है जिनमें महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय शामिल हैं।