अगर बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाने की सोच रहे हैं तो जानें इसके फायदे
क्या है खबर?
समय के साथ-साथ पढ़ाई का स्तर काफी अच्छा होता जा रहा है और सभी अपने बच्चों को एक अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं।
वहीं कई बच्चों को घर पर पढ़ाई का अच्छा माहौल नहीं मिल पाता या वे घर पर सही तरह से नहीं पढ़ते हैं। इसलिए माता-पिता उन्हें बोर्डिंग स्कूल यानी आवासीय स्कूलों में भेज देते हैं।
बोर्डिंग स्कूल में अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता है।
आइए बोर्डिंग स्कूल के फायदे जानें।
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आत्मनिर्भर बनते हैं और प्राथमिकताओं को समझते हैं बच्चे
आज के समय में सभी को आत्मनिर्भर होना सीखना चाहिए। घर पर रहकर बच्चे पढ़ाई तो कर लेते हैं, लेकिन आत्मनिर्भर नहीं हो पाते हैं। वहीं बोर्डिंग स्कूल में अपने परिवार से दूर होने के कारण वे आत्मनिर्भर हो जाते है और आगे उन्हें परेशानी नहीं आती है।
इसी तरह बोर्डिंग में रहने का एक और बड़ा फायदा है कि वहां रहकर बच्चे प्राथमिकता देना सीख जाते हैं। उन्हें पता होता है कि कब किस चीज को प्रथमिकता देनी चाहिए।
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मिलते हैं सीखने के कई अवसर और होता है व्यक्तिगत विकास
बोर्डिंग स्कूल छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य अवसर भी प्रदान करता है। जैसे कि छात्रों को बोर्डिंग स्कूल में रहकर अपने शिक्षकों के साथ अच्छा संबंधों बनाने का मौका मिलता है। साथ ही उन्हें विभिन्न स्पोर्ट गतिविधियों आदि में भाग लेने का मौका मिलता है।
बोर्डिंग स्कूल में रहकर बच्चों का व्यक्तिगत विकास भी होता है। वे सभी के साथ मिल-जुलकर रहना सीखते हैं। घर पर रहकर कई बार बच्चे बाहर के लोगों से घुल-मिल नहीं पाते हैं।
जानकारी
सीखते हैं विभिन्न संस्कृति
बोर्डिंग स्कूल में पूरे देश-दुनिया से अलग-अलग संस्कृति के छात्र पढ़ने आते हैं। बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई करने का सबसे अच्छा फायदे ये भी है कि बच्चों को विभिन्न संस्कृति के बच्चों के साथ रहने का मौका मिलता और वे विभिन्न संस्कृति सीखते हैं।
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अन्य भाषाओं पर बनती है अच्छी पकड़ और आगे के जीवन के लिए होते हैं तैयार
बोर्डिंग स्कूल में विभिन्न संस्कृति के बच्चे होते हैं और वे विभिन्न भाषाओं में बात करते हैं। इस कारण बच्चे अपनी भाषा के अलावा भी अन्य भाषा सीख पाते हैं, जो आज के समय में काफी उपयोगी है। वहीं उनकी अंग्रेजी भी अच्छी हो जाती है।
बोर्डिंग में पढ़ने से बच्चे अपने आगे के जीवन के लिए तैयार हो पाते हैं। वहीं घर में रहने वाले बच्चों को बाद में घर से दूर रहकर पढ़ाई करने में दिक्कतें आती हैँ।