थोक महंगाई दर में आई गिरावट, अगस्त में 1.31 प्रतिशत के स्तर पर पहुंची
भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में घटकर 4 महीने के निचले स्तर 1.31 प्रतिशत पर आ गई, जो जुलाई में 2.04 प्रतिशत थी। थोक महंगाई दर में लगातार दूसरे महीने गिरावट सब्जियों, ईंधन और खाद्य पदार्थों के कीमतों में गिरावट से आई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज (17 सितंबर) जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति घटकर 3.11 प्रतिशत रह गई, जो पिछले जुलाई में 3.45 प्रतिशत थी।
इन चीजों में आई कमी
इस अवधि के दौरान ईंधन और बिजली की कीमतों में भी कमी आई है। खाद्य वस्तुओं की श्रेणी में, अनाज (8.44 प्रतिशत की वृद्धि), धान (9.12 प्रतिशत की वृद्धि) और दालों (18.57 प्रतिशत की वृद्धि) की कीमतों में वृद्धि की दर में कमी देखी गई। प्याज की कीमतों में मामूली कमी आई और यह 65.75 प्रतिशत पर आ गई। इसके विपरीत, आलू (77.96 प्रतिशत की वृद्धि) और फलों (16.7 प्रतिशत की वृद्धि) की कीमतों में महीने के दौरान तेजी आई।
ईंधन की कीमतों में कमी
अगस्त में ईंधन और बिजली के लिए फैक्टरी गेट की कीमतों में 0.67 प्रतिशत की कमी आई, जिसका मुख्य कारण हाई-स्पीड डीजल (-3.03 प्रतिशत) और पेट्रोल (-4.23 प्रतिशत) की कीमतों में गिरावट थी। हालांकि, इसी अवधि के दौरान रसोई गैस की कीमत में वृद्धि हुई, जो 14.4 प्रतिशत बढ़ गई। WPI मुद्रास्फीति में हाल ही में हुई कमी भविष्य में खुदरा मुद्रास्फीति को कम बनाए रखने में योगदान दे सकती है।
खुदरा महंगाई दर हो सकती है कम
थोक महंगाई दर में गिरावट के बाद खुदरा महंगाई दर में गिरावट होने की संभावना है। सितंबर में खुदरा महंगाई दर पर इसका असर देखने को मिलेगा। महंगाई दर कम होने से ग्राहकों को लाभ होगा, क्योंकि इसका असर ग्राहकों के जेब पर पड़ता है।