
क्रेडिट स्कोर को लेकर हैं बहुत मिथक, जानिए इनकी सच्चाई
क्या है खबर?
क्रेडिट स्कोर को लेकर जानकारी का अभाव लोगों में कई तरह के भ्रम पैदा कर देता है। लोग अक्सर दोस्तों, परिवार या सुनी-सुनाई बातों के आधार पर वित्तीय निर्णय लेते हैं। कई लोग क्रेडिट स्कोर को लेकर चले आ रहे मिथकों को ही सही मान बैठते हैं। सबसे आम भ्रम है कि उच्च आय अच्छे स्कोर की गारंटी देता है, जबकि ऐसा नहीं है। आइये जानते हैं क्रेडिट स्कोर से जुड़ी गलत मान्यताओं के पीछे की सच्चाई क्या है।
स्कोर जांच
क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करना
क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करने को लेकर लोगों के बीच एक आम मिथक है कि अपने क्रेडिट स्कोर की जांच करना नुकसान पहुंचाता है। हकीकत यह है कि जब आप सामान्य जानकारी लेने के लिए जांच करते हैं तो आपको बिल्कुल भी नुकसान नहीं होगा। दूसरी तरफ जब ऋणदाता क्रेडिट आवेदन पर विचार करते समय आपकी रिपोर्ट की जांच करते हैं तो आपका स्कोर कम होने की संभावना रहती है और वह प्रभाव भी मामूली और क्षणिक होता है।
बैंक खाते
क्या कई कई बैंक खाते रखने का होता है फायदा?
कई बैंक खाते: कई बैंक खाते रखने का क्रेडिट स्कोर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आपकी क्रेडिट उधार लेने की आदतों-क्रेडिट कार्ड, लोन और पेमेंट हिस्ट्री पर आधारित होता है। कम क्रेडिट कार्ड लोन: कई लोगों का मानना है कि क्रेडिट कार्ड पर कम लोन लेना स्कोर में मदद करता है, जबकि ऐसा नहीं है। हकीकत में हर महीने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने के बाद पूरी राशि का भुगतान करना स्कोर बढ़ाने में मददगार होता है।
लोन भुगतान
जल्दी लोन चुकाने का क्या होगा असर?
पुराना क्रेडिट कार्ड बंद करना: इससे आपकी क्रेडिट हिस्ट्री छोटी हो जाती है और उपयोग अनुपात बढ़ जाता है, जिससे स्कोर कम होता है। जल्दी लोन चुकाना: इससे कर्ज कम करने से मदद तो मिलती है, लेकिन बैंक समय पर और लगातार भुगतान को महत्व देते हैं, न कि जल्दी कर्ज चुकाने को। क्रेडिट हिस्ट्री न होना: एक मिथक है कि लोन नहीं लेना स्कोर बढ़ाता है, जबकि क्रेडिट हिस्ट्री न होने से आपके पुनर्भुगतान व्यवहार का पता नहीं चलता।
EMI छूटना
EMI छूटने से क्या पड़ेगा प्रभाव?
EMI छूटने का असर: कई लोग मानते हैं कि एक EMI छूटने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, जबकि बकाया एक किस्त भी सालों तक आपकी क्रेडिट रिपार्ट में रहती है। इससे आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचाता है। एक ब्यूरो से रिपोर्ट: कई लोगों का मानना है कि सभी बैंक एक ही ब्यूरो स्कोर पर नजर रखते हैं, जबकि सच्चाई ये है कि बैंक अपनी साझेदारी के आधार पर कई क्रेडिट ब्यूरो से स्कोर प्राप्त करते हैं।