
RBI ने रेपो रेट को घटाकर 5.5 प्रतिशत किया, जानिए इससे क्या होगा फायदा
क्या है खबर?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2025 के बाद शुक्रवार (6 जून) को तीसरी बार रेपो रेट में बदलाव किया है।
RBI गर्वनर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समीति (MPC) की बैठक में दर को 50 आधार अंक घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
इससे पहले यह दर 6 प्रतिशत थी। यह मल्होत्रा की तीसरी नीति समिति बैठक थी। इससे पहले फरवरी और अप्रैल की बैठकों में रेपो रेट में 25-25 आधार अंक कम हुई थी।
बयान
RBI गर्वनर में क्या दिया बयान?
RBI गर्वनर मल्होत्रा ने कहा, "विकसित हो रहे व्यापक आर्थिक और वित्तीय विकास के साथ भविष्य के आर्थिक परिदृश्य के विस्तृत आकलन के बाद MPC ने तरलता समायोजन सुविधा के तहत ब्याज दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है, जो कि अपेक्षित भी है। परिणामस्वरूप सावधी जमा सुविधा दर (SDF) 5.25 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी।"
उन्होंने कहा, "देश में महंगाई का स्तर लगातार 4 प्रतिशत से नीचे बना हुआ है।"
हालात
बेहतर स्थिति में है GDP विकास दर- मल्होत्रा
RBI गर्वनर मल्होत्रा ने कहा, "वर्तमान में देश की GDP विकास दर भी बेहतर स्थिति में है और राजनीतिक स्थिरता भी बनी हुई है। इसी तरह फरवरी 2025 से लगातार नीतिगत रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती करने के बाद MPC ने महसूस किया कि वर्तमान परिस्थितियों में मौद्रिक नीति के पास अब विकास समर्थन के लिए बहुत सीमित गुंजाइश बची है। ऐसे में MPC ने भी रुख को उदार से बदलकर तटस्थ करने का फैसला किया है।"
जानकारी
RBI ने महंगाई दर का अनुमान भी घटाया
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई दर अनुमान को घटाकर 3.7 प्रतिशत किया गया है, जो पहले 4 प्रतिशत था। इसी तरह खुदरा महंगाई दर भी तेजी से कम होकर 6 साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई।
रेपो रेट
क्या होती है रेपो रेट?
RBI जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है।
दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी RBI से लोन लेना पड़ता है।
इस लोन पर बैंक जिस दर से RBI को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।
फायदा
रेपो रेट कम होने से क्या होगा असर?
रेपो कम होने का सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा। इससे होम लोन, पर्सनल लोन और वाहन लोन सस्ते होंगे और ब्याज दरें कम होने से राहत मिलेगी।
दरअसल, लोगों की तरह बैंक भी जरूरत पड़ने पर RBI से लोन लेते हैं।
RBI उनको जिस दर पर कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। अब अगर RBI को कम ब्याज दर पर कर्ज मिलेगा तो वह ग्राहकों को भी कम दर पर कर्ज देंगे।
होम लोन
फिर से 7.5 प्रतिशत के नीचे आ सकती हैं होम लोन की दरें
विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल रेपो रेट में 100 आधार अंकों की कमी आ चुकी है। अगर, बैंक पूरी कटौती का लाभ सीधे ग्राहकों को दे दें तो होम लोन की दरें एक बार फिर 7.5 प्रतिशत के नीचे आ सकती है।
वर्तमान होम लोन दर 8 प्रतिशत चल रही हैं। इस कटौती के बाद 20 साल के लिए 30 लाख रुपए के होम लोन की मासिक किस्त में 2,000 रुपए तक की कमी आ सकती है।