लॉकडाउन के दौरान पारले-जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री, पिछले 30-40 साल में सबसे अधिक
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के दौर में भले ही अधिकांश कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ा हो, लेकिन देश के सबसे पसंदीदा बिस्किट पारले-जी ने इस दौरान रिकॉर्ड बिक्री की। कंपनी के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया कि अप्रैल और मई में लॉकडाउन के दौरान बिस्किट के बेहद प्रतिस्पर्धी बाजार में पारले की हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत हो गई। उन्होंने इसे पिछले 30-40 साल में सबसे अच्छा प्रदर्शन बताया।
मजदूरों और गरीबों की मदद में काम आया पारले-जी
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान न केवल गरीबों बल्कि सड़कों पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के लिए पांच रुपये में मिलने वाला पारले-जी बिस्किट बेहद मददगार साबित हुआ था। सरकार से लेकर मजदूरों और गरीबों की मदद कर रहे संगठनों और लोगों तक, सबने अपने राहत पैकेज में पारले-जी को जरूर शामिल किया था। पैदल या ट्रेन के जरिए अपने घर वापस लौट रहे मजदूरों के लिए ये बिस्किट जान बचाने वाला सिद्ध हुआ था।
शाह बोले- 30-40 सालों में नहीं देखी ऐसी वृद्धि
शाह ने बताया कि इन्हीं कारणों से पारले की बिक्री में शानदार उछाल देखने को मिला और बिस्किट बाजार में इसकी हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा, "हालिया समय में ये सबसे अधिक है। कम से कम पिछले 30-40 सालों में तो हमने इस तरह की वृद्धि नहीं देखी है।" उन्होंने कहा कि कंपनी के साथ उनके 20 साल के कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने कभी ऐसी वृद्धि नहीं देखी।
ग्लूकोज के अच्छे स्त्रोत और सस्ती कीमत से हुआ पारले को फायदा- शाह
शाह ने कहा कि पारले-जी कई भारतीयों के लिए सिर्फ बिस्किट नहीं बल्कि सुपाच्य आहार है और अनिश्चितता के समय में हमेशा इसकी बिक्री बढ़ती है। उन्होंने कहा, "सुनामी और भूकंप के समय भी पारले-जी की खपत बढ़ी थी। लोगों को हमारी ब्रांड पर इस तरीका का भरोसा है।" शाह ने कहा कि ग्लूकोज का अच्छा स्रोत और सस्ती कीमत कारण पारले सरकार से लेकर खाने के पैकेट बांट रहे संगठनों के लिए पहली पसंद रहा।
अन्य कंपनियों के बिस्किट भी खूब बिके
शाह ने बताया कि लॉकडाउन में लोगों के घर में रहने के कारण लॉकडाउन में बिस्किट की खपत बढ़ी और सभी बिस्किट कंपनियों में पारले-जी की विकास दर सबसे अधिक रही। बता दें कि लगभग दो महीने के लॉकडाउन के दौरान अन्य कंपनियों के बिस्किट भी खूब बिके। इनमें ब्रिटानिया गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बार्बर्न और मैरी के अलावा पारले क्रैकजैक, मोनैको और हाइड एंड सीक आदि बिस्किट शामिल हैं।
पारले-जी ने किया था बिस्किट की तीन करोड़ पैकेट दान करने का ऐलान
बता दें कि भारत में कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की शुरूआत में पारले कंपनी ने भी बिस्किट की तीन करोड़ पैकेट दान करने का ऐलान किया था। शाह ने कहा, "हमें बाकी लोगों को भी ये करते देखा। ऐसे कई संगठन हैं जो लोगों को पारले-जी देकर मदद कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पारले-जी इसके लिए उपयुक्त उत्पाद है क्योंकि इसे स्टोर किया जा सकता है और इसका जीवन भी काफी अधिक है।
दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट है पारले-जी
1938 में आए पारले-जी बिस्किट को 2003 में दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट घोषित किया गया था। पहले इसे पारले ग्लूको के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में कंपनी का नाम बदला दिया गया। कंपनी का राजस्व 1.4 अरब डॉलर है।