इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति को विप्रो में नहीं मिली थी नौकरी, फिर बनाई अपनी कंपनी
क्या है खबर?
भारतीय टेक दिग्गज कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने शनिवार (13 जनवरी) को एक इंटरव्यू में खुलासा किया है कि उन्होंने एक बार विप्रो में नौकरी के लिए आवेदन किया था, जिसे ठुकरा दिया गया था।
CNBC-TV18 को दिए इंटरव्यू में अरबपति व्यवसायी ने बताया कि उनका आवेदन अस्वीकार होने के बाद ही उन्होंने इंफोसिस की स्थापना की।
बता दें मूर्ति ने अपनी पत्नी और 6 दोस्तों के साथ मिलकर 1981 में इंफोसिस की स्थापना की थी।
बयान
अजीम प्रेमजी ने मामले पर क्या कहा था?
मूर्ति ने बताया कि विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने बाद में उनसे कहा कि उन्हें काम पर न रखने का निर्णय गलत था।
मूर्ति ने कहा, "अजीम ने एक बार मुझसे कहा था कि उसने जो सबसे बड़ी गलती की, वह मुझे काम पर न रखना था।"
उन्होंने आगे कहा, "अगर मुझे विप्रो ने काम पर रखा होता तो मेरे और प्रेमजी दोनों के लिए चीजें अलग-अलग होतीं।"
इंफोसिस, विप्रो के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धियों में से एक है।
शुरुआत
इस तरह दोनों कंपनियों की हुई शुरुआत
मूर्ति ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से मिली 10,000 रुपये की धनराशि के साथ इंफोसिस की स्थापना की थी।
प्रेमजी ने विरासत में मिले वनस्पति तेल के व्यवसाय को IT सेक्टर की एक जानी-मानी फर्म में बदल दिया।
12 जनवरी, 2024 तक इंफोसिस का मूल्य 6.65 लाख करोड़ रुपये और विप्रो का मूल्य 2.43 लाख करोड़ रुपये है।
प्रेमजी और मूर्ति की अनुमानित संपत्ति क्रमशः 30,000 करोड़ और 38,000 करोड़ रुपये है।