
भारतीय कंपनियों की पूंजीगत खर्च दर हुई कम, 4 साल के निचले स्तर पर पहुंची
क्या है खबर?
देश में इस साल निजी निवेश में गिरावट देखने को मिल रही है।
वित्त वर्ष 2025 में निजी पूंजीगत व्यय सिर्फ 8.4 प्रतिशत बढ़ा, जो 5.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा। यह बीते 4 वर्षों में सबसे धीमी बढ़त है।
आम चुनावों और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों की सोच को प्रभावित किया।
ब्लूमबर्ग के अनुसार, BSE 500 की 210 गैर-वित्तीय कंपनियों ने 2024 में पूंजी पर 4.7 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो उस वर्ष 23 प्रतिशत बढ़ा था।
खर्च
पूंजीगत व्यय की रफ्तार सुस्त
बढ़ती अनिश्चितता के बीच कंपनियों का मुनाफा तो बढ़ा, लेकिन पूंजीगत व्यय की रफ्तार सुस्त हो गई।
वित्त वर्ष 25 में इन कंपनियों का शुद्ध लाभ 16.6 प्रतिशत बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा। शुद्ध राजस्व भी 8.2 प्रतिशत बढ़ा और 58.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा।
कोविड के बाद निवेश चक्र में आई तेजी अब धीमी पड़ गई है। वित्त वर्ष 23 और 24 में पूंजीगत व्यय में 23 प्रतिशत की लगातार बढ़त देखी गई थी।
निवेश
कंपनियों के निवेश में बदलाव
सीमेंस इंडिया के अनुसार पारंपरिक क्षेत्रों में निजी पूंजीगत व्यय नहीं बढ़ा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस साल खर्च में 8.5 प्रतिशत की गिरावट की और 1.4 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय किया।
भारती एयरटेल का पूंजीगत व्यय 38,000 करोड़ रुपये रहा। टाटा स्टील ने भी 15,670 करोड़ रुपये खर्च किए, जो पिछले साल से 14 प्रतिशत कम है।
अन्य कंपनियों जैसे इंडस टावर्स, एशियन पेंट्स, MRF और SRF ने भी अपने पूंजीगत व्यय में 25-45 प्रतिशत कटौती की है।
राय
विशेषज्ञों की राय क्या है?
जब ज्यादातर कंपनियां अपने निवेश घटा रही हैं, अडाणी एंटरप्राइजेज ने 31,500 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया और अगले साल इसे 36,000 करोड़ रुपये से अधिक करने की योजना बनाई है।
नोमुरा ने कहा कि वैश्विक और घरेलू अनिश्चितताओं के बीच पूंजीगत व्यय की रिकवरी एक बड़ा सवाल है।
वहीं, मॉर्गन स्टेनली के अनुसार अब भारत में उत्पादकता बढ़ गई है, जिससे एक ही विकास दर के लिए कम पूंजीगत व्यय की जरूरत पड़ती है।